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रायपुर। CG Breaking: छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय की सरकार लगातार शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर प्रयास कर रही हैं. स्कूल शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल विभागीय अधिकारियों की पहली बैठक में ही शिक्षा की गुणवता के लिए पांचवी और आठवीं बोर्ड फिर से प्रारंभ करने का निर्देश दिया था। मंत्री के निर्देश के बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने पांचवी और आठवी बोर्ड का फरमेट बना लिया है। DPI से इस आशय का प्रस्ताव स्कूल शिक्षा मंत्री को भेज दिया गया है। कभी भी इस पर फैसला हो जाएगा।
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कोई फेल नहीं
डीपीआई ने बोर्ड परीक्षा के लिए जो प्रारूप बनाया है, उसके अनुसार परीक्षा पूरी गंभीरता से ली जाएगी। मगर इसमें कोई फेल नहीं होगा। सबको पास किया जाएगा। अफसरों का कहना है कि इससे विद्यार्थी लगातार पठन-पाठन में जुटे रहेगे और इससे उनमें कंपीटिशन का भाव आएगा। इससे उनका बेस मजबूत होगा। बोर्ड परीक्षा का दूसरा फायदा यह होगा कि बच्चों को मिलने वाले मार्क्स से शिक्षकों की ग्रेडिंग होगी। दसवीं के नीचे अभी शिक्षकों की ग्रेडिंग की कोई व्यवस्था नहीं है। क्योंकि, बोर्ड परीक्षा होती नहीं। प्राइमरी और मीडिल स्कूल में शिक्षकों का पारफारमेंस क्या है, इसका कोई पैरामीटर नहीं है।
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मंथली एसेसमेंट
स्कूलों में पहले हर महीने विषयवार टेस्ट होते थे। उससे छात्रों के साथ टीचरों को भी पता होता था कि किस छात्र का क्या पारफारमेंस है। कुछ सालों से ये एसेसमेंट बंद है। स्कूल शिक्षा विभाग फिर से एसेसमेंट सिस्टम प्रारंभ करने जा रहा है।
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पैरेंट्स मीट
प्रायवेट स्कूलों में जिस तरह पैरेंट्स मीट होता है, वैसा ही सरकारी स्कूलों में भी शुरू करने पर विचार किया जा रहा है। पैरेंट्स मीट में साल में दो बार अभिभावकों को स्कूल में बुलाकर उन्हें उनके बच्चे की उत्तरपुस्तिका दिखाई जाती है। फिर उन्हें फीडबैक भी दिया जाता है, कि उनका बच्चा किस सब्जेक्ट में कमजोर है, कौन सब्जेक्ट उसका अच्छा है। बच्चा अगर पढ़ने में रुचि नहीं दिखा रहा है तो उसके लिए भी अभिभावकों को आगाह किया जाता है। इसी तरह का सिस्टम अब सरकारी स्कूलों में भी होगा।