रायपुर : Vishwabhushan Harichandan : राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन के छत्तीसगढ़ के राज्यपाल बतौर कल 23 फरवरी को एक वर्ष पूर्ण हो रहा है। यह छत्तीसगढ़ के लिए सौभाग्य की बात है कि यहां उच्च संवैधानिक पद पर साहित्यकार और संवेदनशील व्यक्ति राज्यपाल के रूप में आसीन हैं। राजभवन के दरवाजे सभी के लिए खुले रहते हैं। हर तबके, वर्ग और समाज के लोग राज्यपाल से भेंट करने आते हैं और संतुष्ट होकर जाते हैं। राज्यपाल को छत्तीसगढ़ के लोग अत्यंत सरल ,सहज लगते हैं और वे सभी से आत्मीयता के साथ मिलते हैं।
हरिचंदन ने राज्यपाल एवं कुलाधिपति का पद संभालने के बाद कुलाधिपति के रूप में सबसे पहले राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की बैठक ली और उनके विश्वविद्यालयों की गतिविधियों एवं समस्याओं की जानकारी लेकर गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। उनका कहना हैं कि दीक्षांत समारोह विद्यार्थी जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव होता है और इसका प्रभाव उसके भविष्य पर भी पड़ता है। इसलिए सभी विश्वविद्यालयों को समय पर दीक्षांत समारोह सम्पन्न करना चाहिए। उनके इस निर्देश के बाद राज्य के 11 शासकीय और निजीे विश्वविद्यालयों में दीक्षांत समारोह आयोजित हुए और लगभग 4 लाख विद्यार्थियों को विभिन्न उपाधियां एवं पदक प्रदान किये गये। कुलाधिपति के रूप में वे विद्यार्थियों को राष्ट्र की सेवा करने एवं गरीब, शोषित व वंचित वर्ग के लिए कार्य करने हेतु प्रेरित करते हैं। उनका मानना है कि सर्वाधिक युवाओें की आबादी वाले इस देश के युवाओं को सकारात्मक दिशा में ले जाना आवश्यक है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू एवं उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस दौरान छत्तीसगढ़ आगमन हुआ था। उन्होंने छत्तीसगढ़ राजभवन के आतिथ्य को अत्यंत सराहा ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विशेष पहल पर देश में विकसित भारत /2047 अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान से युवाओं को जोड़ने के लिए राज्यपाल के निर्देशन में प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों की कार्यशाला राजभवन में आयोजित की गई। राज्यपाल का मानना है कि इस मिशन को सफल बनाने के लिए युवाओं के नवीन विचारों को राष्ट्र निर्माण में शामिल करना होगा। युवा शक्ति का उपयोग करके हम भारत को एक विकसित और सशक्त भारत के रूप में आगे बढ़ा सकते हैं।
प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी जी की अनूठी पहल का क्रियान्वयन राज्यपाल हरिचंदन के निर्देशन में किया जा रहा है। इसके तहत अब तक 26 राज्यों एवं 7 केंद्र शासित प्रदेशों का स्थापना दिवस राजभवन में* एक भारत श्रेष्ठ भारत* कार्यक्रम के तहत बड़े ही उल्लास पूर्ण वातावरण में मनाया गया है। विविधता में एकता की भावना को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किए इस कार्यक्रम में अब तक (गुजरात, महाराष्ट्र, ओड़िशा, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, गोवा, असम, नागालैण्ड, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडू, केरल, जम्मू कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तरांखड, झारखण्ड, मेघालय, उत्तरप्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा, केन्द्र शासित प्रदेशों लद्दाख, चंडीगड़, अंडमान निकोबार द्वीप, पुडूचेरी, लक्षद्वीप, दादर एवं नगर हवेली तथा दमन दीव) का स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया गया है।
एक भारत-श्रेष्ठ भारत युवा संगम *कार्यक्रम के तहत विभिन्न राज्यों के काॅलेजों में पढ़ने वाले विद्यार्थी एक-दूसरे राज्यों का भ्रमण कर वहां के खान-पान, संस्कृति, रहन-सहन से रूबरू हो रहें हैं। इस कड़ी में गोवा और नागालैण्ड के विद्यार्थी भी छत्तीसगढ़ पहुंचे थे। राज्यपाल ने उनसे मुलाकात की और वैचारिक आदान-प्रदान भी किया। उनका कहना है कि विद्यार्थी ऐसा कार्य करे जिससे देश गौरवान्वित हो और एक भारत-महान भारत का उद्देश्य पूरा हो सके।
राज्यपाल हरिचंदन की पहल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘‘मन की बात‘‘ कार्यक्रम की 100वीं कड़ी का प्रसारण राजभवन में सुना गया। मोदी ने कार्यक्रम की विभिन्न कड़ियों में छत्तीसगढ़ के हस्तियों से बातचीत की , साथ ही उनका उल्लेख किया। काष्ठ शिल्पकार अजय मंडावी का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा था कि वे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के गुमराह युवाओं को सही मार्ग दिखा रहें हैं। इसी तरह बेमेतरा जिले के साजा विकासखंड के ग्राम देउरगांव की महिला स्व-सहायता समूह का उन्होंने उल्लेख किया था जो स्वच्छता अभियान से जुड़कर अपने गांव की सड़कों – गलियों की साफ-सफाई का अभियान चला रही हैं। राज्यपाल ने उन सभी हस्तियों को राजभवन आमंत्रित किया और उनका स्वागत करते हुए उन्हें बधाई दी।
हमारे संवेदनशील राज्यपाल का प्रदेश की जनता के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान है। प्रधानमंत्री टी.बी. मुक्त भारत अभियान के तहत राज्य को वर्ष 2025 तक टी.बी. रोग से मुक्त करने का लक्ष्य है। समाज के प्रबुद्ध वर्ग, व्यापारिक एवं औद्योगिक संगठन, विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, बैंको एवं अन्य संगठनों से उन्होंने कम से कम 100 टी.बी. मरीजो को गोद लेने की अपील कर अभियान को गति दी। उन्होंने स्वयं निक्षय मित्र बनकर दंतेवाड़ा के 51 मरीजों को गोद लिया और उन्हें अतिरिक्त पोषण आहार देने के लिए 2 लाख रूपए प्रदान किए। हरिचंदन रेडक्राॅस की गतिविधियों में भी सक्रिय रूप से शामिल होते है। साथ ही सभी जिला कलेक्टर और महाविद्यालयों के विद्यार्थियों को अधिक से अधिक संख्या में रेडक्राॅस से जोड़ने का आव्हान करते है और शिविरों में जाकर रक्तदाताओं का मनोबल भी बढ़ाते है।
दुनिया में तेजी से बढ़ रहे प्रदूषण के प्रति हरिचंदन ने समय-समय पर चिंता जाहिर की है। उनका कहना है कि अभी प्रदूषण को नही रोकेंगे तो यह महामारी का रूप ले लेगा। उन्होंने राज्यपाल का पदभार ग्रहण करने के कुछ समय बाद राजभवन एवं उसके आस-पास के क्षेत्र को सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त क्षेत्र घोषित कर पर्यावरण स्वच्छता का संदेश जनमानस को दिया। वे जिस भी कार्यक्रम मे जाते हैं ,वृक्षारोपण अवश्य करते हैं यह उनका पर्यावरण के प्रति अगाध प्रेम दर्शाता है। वे युवाओं से भी आव्हान करते हैं कि अपने राष्ट्र पर,अपनी संस्कृति पर गर्व करें और हमेशा वंचित वर्गों की सहायता के लिए आगे आएं।
आजादी की 75वें वर्षगांठ पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों की याद में पूरे देश में आजादी का ‘‘अमृत महोत्सव‘‘ मनाया गया। इस कार्यक्रम के तहत राजभवन में ‘‘मेरा माटी-मेरा देश‘‘ अमृत कलश यात्रा आयोजित की गई जिसमे प्रदेश के सभी विकासखंड से शहीदों के सम्मान में मिट्टी एकत्रित कर राजभवन लाया गया। राज्यपाल ने पावन मिट्टी से भरे अमृत कलशों को पुष्पांजलि अर्पित की और उन्हें नई दिल्ली के कत्र्तव्य पथ पर अमृत वाटिका के निर्माण के लिए भेजा गया। उन्होंने शहीदों परिजनों का सम्मान कर अपनी कृतज्ञता का भाव प्रकट किया।
राज्यपाल स्वयं एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिवार के सदस्य है। इस नाते देश की आजादी के लिए अपने जीवन का बलिदान करने वाले असंख्य बलिदानियों के प्रति अपनी कृतज्ञता के भाव को सदैव प्रकट करते हैं। इसी कड़ी में महात्मा गांधी, सरदार वल्लभ भाई पटेल, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बाबा साहेब अंबेडकर, श्री लालबहादुर शास्त्री, श्री अटल बिहारी वाजपेयी जैसे महापुरूषों और नेताओं जिन्होंने देश की आजादी, सार्वभौमिकता, अखंडता, लोकतंत्र की रक्षा और मानव कल्याण के लिए अविस्मरणीय योगदान किया है। उनकी जयंती और पुण्य तिथि पर उन्हेें नमन करने और उनके योगदान का स्मरण करने के लिए राजभवन में नई परंपरा राज्यपाल ने प्रारंभ कराई है।
राज्यपाल के 1 वर्ष के कार्यकाल में अनेकों अध्यादेशों और 43 विधेयकों का अनुमोदन किया गया। उन्होंने पं. रविशंकर विश्वविद्यालय रायपुर सहित 6 निजी विश्वविद्यालयों में कुलपतियोें की नियुक्ति की।
इस एक वर्ष के कार्यकाल को वे संतुष्टि पूर्ण मानते हैं और सतत् सक्रिय रहते हुए सदैव जनता के लिए कार्य करना चाहते हैं।