हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार फिलहाल सेफ बताई जा रही है. मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है। राज्यसभा चुनाव में 6 विधायकों के बागी होने के बाद सुक्खू सरकार पर संकट आया था। चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार हर्ष महाजन ने कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी को शिकस्त दी
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स्पीकर ने कहा कि दलबदल विरोधी कानून के तहत 6 विधायकों के खिलाफ मुझे याचिका मिली थी। मैंने अपने 30 पेज के आदेश में काफी विस्तार से इसकी जानकारी दी है। मैंने उन 6 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया है, अब वे हिमाचल प्रदेश विधानसभा के सदस्य नहीं है।पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने वाले कांग्रेस के छह विधायक कारण बताओ नोटिस के जवाब में बुधवार को अपने वकील के साथ विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष पेश हुए और तर्क दिया कि संबंधित सभी दस्तावेज उन्हें मुहैया नहीं कराए गए हैं। विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष छह कांग्रेस विधायकों का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सत्यपाल जैन ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किलों को केवल नोटिस और मंगलवार शाम को दाखिल याचिका की प्रति दी गई है जबकि अन्य संलग्नक नहीं मुहैया कराये गये।जैन ने कहा कि नियमों के तहत विधायकों को उन्हें दिए गए नोटिस का जवाब दाखिल करने के लिए सात दिन का समय दिया जाना चाहिए। जैन ने तर्क दिया कि दल-बदल विरोधी कानून राज्यसभा चुनावों में मतदान पर लागू नहीं होता है।
इन विधायकों पर गिरी गाज
जिन 6 बागी विधायकों को हिमाचल प्रदेश विधानसभा के स्पीकर ने अयोग्य घोषित किया है, उनमें राजेंद्र राणा, रवि ठाकुर, चेतन शर्मा, आईडी लखनवाल, सुधीर शर्मा और देवेंद्र भुट्टो शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक हिमाचल विधानसभा स्पीकर के फैसले को चुनौती देने के लिए बागी विधायक हाईकोर्ट का रुख कर सकते हैं। विधानसभा स्पीकर ने बताया कि मैंने सभी का पक्ष सुना है। विधायकों ने व्हिप का उल्लंघन किया। सभी 6 बागी विधायकों की सदस्यता तत्काल प्रभाव से खत्म की जाती है। राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वाले सभी विधायक अयोग्य घोषित किया जा रहा है।