रेस्टोरेंट के मालिक ग्राहकों को लुभाने के लिए तमाम तरकीबें अपनाते रहते हैं. इसमें डॉई आइस (Dry ice) भी एक है. डॉई आइस को रखने की कोई खास वजह तो नहीं, सिर्फ खाने और ड्रिंक से सफेद धुआं निकालना इनका मकसद होता है. ये सफेद धुआं लोगों के लिए आई कैचर बन जाता है
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बता दें कि, हाल में गुरुग्राम के एक रेस्टोरेंट से एक मामला सामने आया है. यहां माउथ फ्रेशनर की जगह ड्राई आइस सर्व कर दी गई थी. इसको खाने से 5 लोगों के मुंह से खून आने लगा और उल्टियां होने लगीं. आखिर क्यों? क्या ड्राई आइस सेहत के लिए घातक होती है? यदि हां तो कितनी? क्या होती है ड्राई आइस? इसको खाने से शरीर के किन अंगों को होता है नुकसान?
ड्राई आइस पिघलने पर सीधे कार्बन डाइऑक्साइड गैस में फैल जाती है
Dry Ice एक प्रकार से सूखी बर्फ है जिसका तापमान -80 डिग्री तक होता है. ये केवल ठोस कार्बन डाइऑक्साइड से बना होता है. ड्राई आइस सामान्य बर्फ के मुकाबले 40 गुना से अधिक ठंडी हो सकती है. दरअसल, नॉर्मल बर्फ को मुंह में रखने से वह पिघलकर पानी बनने लगती है, लेकिन ड्राई आइस पिघलने पर सीधे कार्बन डाइऑक्साइड गैस में फैल जाती है. ड्राई आइस का उपयोग अक्सर इसके असाधारण रूप से कम तापमान के कारण किराने के सामान और मेडिकल चीजों को स्टोर करने के लिए किया जाता है. इसके अलावा इसका इस्तेमाल फोटोशूट और थियेटर में होता है.
Dry Ice सेहत के लिए क्यों खतरनाक?
डॉ. रामबाबू के अनुसार, ड्राई आइस कार्बन डाइऑक्साइड का ही ठोस रूप है. इसका इस्तेमाल आमतौर पर कूलिंग एजेंट के तौर पर किया जाता है. इसकी गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यदि ड्राई आइस को ऐसी जगह रखा है जहां पर वेंटिलेशन नहीं है, तो ऐसे में कार्बन डाइऑक्साइड का कॉन्सन्ट्रेशन इतना बढ़ सकता है कि आपको दम घुटना, सिर दर्द, सांस लेने में तकलीफ होना, होंठ या नाखून नीले पड़ने लगना जैसी समस्याएं हो सकती हैं