बिलासपुर | CG BIG BREAKING: हाईकोर्ट की फटकार के बाद भी सिम्स की व्यवस्था में सुधार नही दिख रहा। अब डिलीवरी के लिए आई महिला के बच्चे को मृत बता दिया गया. जबकि निजी डायग्नोस्टिक सेंटर में सोनोग्राफी जाच के बाद बच्चा जिंदा निकला और 4 दिन बाद नवजात की मौत हो गई। महिला 22 दिन बाद भी एएसीसीयू में जीवन मृत्यु के बीच जूझ रही है।
बता दें चाटीडीह रामायण चौक निवासी ड्राइवर अंकित कुमार यादव ने बताया कि गत 22 फरवरी को वह अपनी गर्भवती पत्नी शिल्पा को पेट मे तेज दर्द होने पर सिम्स लेकर आया। डॉक्टर के कहने पर उसने 1 दिन के लिए पत्नी को भर्ती कराया तो बताया गया कि उसका ब्लड प्रेशर बढ़ गया है।
बच्चे की गर्भ में ही मौत हो चुकी है ऑपरेशन करके निकालना पड़ेगा।अंकित की माँ ने कहा ऐसा नही हो सकता वह हर माह अपनी बहू शिल्पा का चेकअप करा रही दो दिन पहले सोनोग्राफी कराया उसमे डॉक्टर ने सब ठीक बताया वह अपनी बहू का सोनोग्राफी कराना चाहती है पर मना कर दिया गया उसके बार-बार आग्रह करने पर कहा गया कि आप अपनी जिम्मेदारी पर ले जा रहे लिखकर दीजिये उसने लिखकर दिया तब महिला ने अपनी बहू का सिम्स के सामने डायग्नोसिस सेंटर में सोनोग्राफी की जांच कराई तो बताया गया कि बच्चा स्वस्थ्य है।
बच्चा पैदा हुआ और 4 दिन बाद उसकी मौत हो गई। इसके बाद से कभी उसे इंफेक्शन तो कभी चेस्ट में पानी भरना बता एएसीसीयू में रखा गया है। अब तक यहां पीड़ित महिला को 17 यूनिट ब्लड लग चुका है, गुरुवार को 18 वा यूनिट ब्लड चढाया गया। इन 22 दिनों में उसे राहत तो दूर इतने बड़े मेडिकल कालेज में उसकी खासी तक का उपचार नही किया जा सका उसे अभी भी खासी आ रही।
अंकित का कहना है कि उसने अपनी पत्नी के इलाज के लियर बैंक से 50 हजार का लोन ले रखा है और इतना ही पैसा रिस्तेदारो से उधार ले चुका है अब उसकी हिम्मत जवाब दे गई। वही जनता है कि इन 22 दिनों में कैसे उसने अपनी पत्नी के लिए 18 यूनिट ब्लड का इंतजाम कर सका। उसने मीडिया के माध्यम से। मदद की गुहार लगाते हुए कहा कि उसे किसी से कोई शिकायत नही वह फिर रकम कमा लेगा बच्चा तो हाथ नही लगा अब उसकी जीवन संगिनी के प्राण की रक्षा हो जाये बस उसकी यही गुहार है।
अंचलवासियो को अब सुशासन मास्टर प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से सिम्स में सुधार की उम्मीद है
ग्रैंड न्यूज़ का उद्देश्य सिम्स की छबि को खराब करना नही बल्कि व्यवस्था बनाना है। ऐसा नही की सिम्स में कुछ अच्छा नही हो रहा कई जटिल ऑपरेशन भी हुए है ये अच्छे और सेवाभावी डॉक्टरों के अथक परिश्रम और ज्ञान का परिणाम है पर कुछ एक डॉक्टर और स्टाफ को मानवता और अनुशासन का पाठ पढाना जरूरी है क्यों कि सवाल आपका और हमारा है जिनका विश्वास तमाम खामियो के बावजूद सिम्स और जिला अस्पताल पर है जो आज भी हॉस्पिटल को मंदिर और डॉक्टरों को देवस्वरूप मानते है।