रायपुर। अयोध्या में श्री राम मंदिर निर्माण के बाद से पूरा देश राममय हो चुका है ऐसे में राजधानी रायपुर के आनंद समाज वाचनालय में “राममय छत्तीसगढ़” का आयोजन किया गया। श्री राम और छत्तीसगढ़ के परस्पर संबंधों के अनेक उदाहरण हैं। छत्तीसगढ़ की संस्कृति में राम किस तरह से बसे हुए हैं उसी पर केंद्रित राज्य के विभिन्न हिस्सों से आए शोधकर्ताओं, इतिहासकारों और वक्ताओं ने अपने विचार रखे।
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राजधानी की सरल सरिता भजनामृत भजन ग्रुप और अखिल भारतीय साहित्य परिषद छत्तीसगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजि किया गया। राममय छत्तीसगढ़ का आयोजन 15 मार्च को किया गया। कार्यक्रम के प्रमुख वक्ता डॉ. संजय अलंग आयुक्त रायपुर संभाग ने अपने विचार रखते हुए कहा कि यहां श्री राम को सबसे प्रथम सम्मान दिया जाता है उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में आज भी कोठी से धान निकाला जाता है तब उसकी गिनती राम से शुरू होती है यानि पहली बार निकालने पर गिनती में एक की जगह राम कहा जाता है उसके बाद फिर दो, तीन, चार की गिनती की जाती है। उन्होंने कहा कि यहां जनजाति अपने शरीर पर राम राम गुदवाती है। उन्होंने कहा कि ‘ऊँ राम’ के अपभ्रंश को आज उँरांव कहा जाता है जो प्रदेश की एक आदिवासी जनजाति है।
कार्यक्रम की शुरूआत सरल सरिता भजनामृत भजन ग्रुप के सुरेश ठाकुर एवं सदस्यों द्वारा भजन ठुमक चलत रामचंद्र बाजत के गायन से हुआ। अखिल भारतीय साहित्य परिषद के प्रांत प्रमुख प्रभात मिश्र ने स्वागत भाषण और आधार वक्तव्य दिया।
श्री राम और कौसल्या से पहले भी अयोध्या के छत्तीसगढ़ से सबंध रहे है -डॉ. एल. एस. निगम
वरिष्ठ साहित्यकार राम पटवा ने श्री राम की बाल लीलाओं के प्रसंगों का उल्लेख किया। पुरातत्व विशेषज्ञ जी. एल. रायकवार ने सिलसिले से छत्तीसगढ़ के विभिन्न स्थानों पर स्थित मंदिरों में उत्कीर्ण प्रतिमाओं और भित्ति चित्रों की भाव भंगिमाओं तथा विशेषताओं पर प्रकाश डाला। पहेलियों और जनौला के आधार पर श्री वल्लभाचार्य महाविद्यालय महासमुंद की प्राचार्य डॉ. अनुसूईया अग्रवाल ने बताया कि राम विविध रूपों में छत्तीसगढ़ के जनजीवन से जुड़े हुए हैं। वरिष्ठ इतिहासकार डॉ. एल. एस. निगम ने कहा कि श्री राम और कौसल्या से पहले भी अयोध्या के छत्तीसगढ़ से सबंध रहे हैं। उन्होंने इला की कथा के आधार पर अपने विचारों से संगोष्ठी को अवगत कराया। भाटापारा के रविंद्र गिन्नोरे और टूरिज्म बोर्ड की जनसंपर्क अधिकारी डॉ. अनुराधा दुबे ने राम वन गमन और छत्तीसगढ़ पर रौशनी डाली। शिरीष मिश्र ने रामगढ़ पर केंद्रित वक्तव्य दिया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से रायपुर ग्रामीण के विधायक मोतीलाल साहू सहित शिवरतन गुप्ता, ग्रामविकास शोध समाधान केन्द्र अभनपुर से ग्रामीण समाजसेवियों का एक दल भी मौजूद था। अशोक तिवारी, प्रो. जी. आर. साहू, नारायण चित्लांग्या, साहित्यकार रामेश्वर शर्मा, अरविंद मिश्र, जागेश्वर प्रसाद, पत्रकार मनीष शर्मा, उपमन्यु सिंह, गायिका कंचन जोशी और एन. एस. एस. के छात्र छात्राओं सहित बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन मौजूद थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता भास्कर किन्हेकर ने की। उन्होंने अध्यक्षीय उद्बोधन में उन्होंने साहित्य परिषद के प्रयास को सराहा । कार्यक्रम का संचालन आशीष सिंह ने किया। उक्त कार्यक्रम संस्कृति विभाग, छत्तीसगढ़ शासन के सहयोग से आयोजित हुआ।