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पोल खुलने के डर से कार्यालय में ताला मारा डीएफ़ओ को रोका,मूल नस्ती कर दी ग़ायब, ट्रान्सफर आदेश का इन्तजार करने की दी धमकी पर जब सूची में नाम नही देख पाए तब जोश हुआ ठंडा, आख़िर क्या है पूरा मामला

Vijay Sinha
Last updated: 2024/03/18 at 10:02 PM
Vijay Sinha
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6 Min Read
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घटना उदंती सीतानदी टाइगर रिज़र्व के कोर एरिया की है जहा अर्सिकन्हार परिक्षेत्र के कक्ष क्रमांक 190 से दिनांक 13.10.2023 को अवैध रूप से रेत की तस्करी कर रहे ट्रेक्टर मालिक जीवन लाल नाग एवं अन्य आरोपियों को ट्रेक्टर सहित वनरक्षक एवं परिक्षेत्र सहायक द्वारा रंगे हाथो पकड़ा गया था I किन्तु एस डी ओ सीतानदी एम आर साहू ने दिनांक 6.11.2023 को अवैध आदेश (क्युकी कोर एरिया से पकडे गये वाहन को केवल कोर्ट से ही मुक्त किया जा सकता है एवं आरोपियों को कम से कम तीन साल की सजा का प्रावधान होता है जिसमे राजीनामा का कोई प्रावधान नही होता है ) पारित करते हुए उक्त ट्रेक्टर एवं आरोपियों को 10000 रूपये के राजीनामे पर निर्मुक्त कर दिया गया I हैरतंगेज़ बात यह है कि इस आदेश की प्रष्ठंकित प्रति न तो उपनिदेशक कार्यालय को दी गयी ना ही क्षेत्र निदेशक ( CCF) कार्यालय को जो की अपीलीय अधिकारी है को दी गयी

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जब उपनिदेशक वरुण जैन को 19 फरवरी को एम आर साहू द्वारा प्रताड़ित किये गये स्टाफ के माध्यम से यह शिकायत प्राप्त हुई कि उक्त ट्रेक्टर प्रकरण में अवैध लेन-देन हुआ है तब उपनिदेशक ने इसकी खोज बीन शुरू की  आदेश की प्रति अपने कार्यालय में खोजवाई किन्तु ना तो ईमेल में ना ही आवक में यह आदेश प्राप्त हुआ था I इसके बाद CCF कार्यालय से भी पता किया गया तो वहां भी यही स्तिथि पायी गयी I इसके बाद जब रेंजर और सम्बंधित स्टाफ को कारण बताओ सूचना नोटिस दिया गया तब उनके द्वारा बताया गया कि SDO सीतानदी के आदेश पर ट्रेक्टर को निर्मुक्त किया गया एवं आरोपियों से राजीनामा किया गया  उपनिदेशक द्वारा की जा रही खोजबीन की सूचना लगते ही एम आर साहू के पाँव तले जमीन खिसक गयी और आनन् फानन में 26.02.2024 को (लगभग 3.5 महीने बाद) CCF कार्यालय को राजसात प्रकरण की प्रति ईमेल की गयी और प्रथम दृष्टया दिनांक 15.03.2024 को उपनिदेशक कार्यालय की सील को PDF से क्रॉप कर उक्त आदेश पर लगाकर यह बताया गया कि उक्त आदेश आपके कार्यालय को 21.11.2023 ही प्रदाय किया जा चुका है I जिसके उपरांत उप निदेशक के द्वारा एस डी ओ सीतानदी कार्यालय से ओरिजिनल पावती मांगी गयी तब कोई जवाब नही मिला जिससे फर्ज़िबाड़े का शक गहरा गया I तत्काल ही दल गठन कर एस डी ओ सीतानदी कार्यालय में जाकर डाक रजिस्टर एवं प्रकरण की मूल नस्ती की जांच करने सम्बन्धी आदेश पारित किया गया जिस पर एम आर साहू ने जांच दल को सहयोग प्रदाय करने से मन कर दिया और ऑफिस में ताला मारकर चले गये I इसके उपरान्त उपनिदेशक ने उनके ऑफिस पहुचकर ऑफिस खोलने का आग्रह किया तो वे उग्र हो गये और महिलाओ और बच्च्चो को सामने खड़ा कर दिया और कहने लगे अपने ट्रांसफर आर्डर का इन्तेजार कर I जिस पर उपनिदेशक द्वारा कहा गया कि कार्यालय तो आज खुलकर ही रहेगा एवं तत्काल पुलिस अधीक्षक धमतरी आंजनेय वार्ष्णेय (भा. पु. से. ) को लेख कर महिला पुलिस बल मंगवाया और कार्यालय का ताला तोड़कर डाक रजिस्टर से उक्त आदेश क्रमांक का मिलान किया तो ऐसा कोई आदेश उपनिदेशक कार्यालय को प्राप्त ना होना पाया गया जिससे फर्जी सील वाली घटना प्रमाणित हुई I जब मूल नस्ती की खोजबीन की गयी तब वह भी गायब मिली जो कि दैनिक श्रमिको द्वारा दिनांक 18.03. 2024 को बताया कि एम आर साहू द्वारा अपने आवास पर निरिक्षण के कुछ समय पहले ही लेपोल खुलने के डर से कार्यालय में ताला मारा डीएफ़ओ को रोका,मूल नस्ती कर दी ग़ायब, ट्रान्सफर आदेश का इन्तजार करने की दी धमकी पर जब सूची में नाम नही देख पाए तब जोश हुआ ठंडा, आख़िर क्या है पूरा मामला थे I ट्रेक्टर को निर्मुक्त करने के लिए जो कारण आदेश में उल्लेखित थे वे भी सत्य से परे थे :

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1. आरोपी द्वारा प्रथम बार वन अपराध किया गया है ( जो कि वनरक्षक से पूछताछ पर पता चला कि आरोपी के द्वारा पूर्व में भी 2-3 बार रेत परिवहन किया गया है I
2. वनरक्षक द्वारा बताया गया कि रेत परिवहन स्वयं के मकान बनाने के लिए किया जा रहा था ( जब आरोपी जीवन लाल नाग के निर्माणाधीन मकान का पता किया गया तब पता चला कि उनके तो 6 साल पहले ही दो मकान मेचका ग्राम में बन चुके है – )
3. परिक्षेत्र अधिकारी की अनुशंसा पर ट्रेक्टर छोड़ा गया ( जब परिक्षेत्र अधिकारी से स्पष्टीकरण लिया गया तब उन्होंने बताया कि एम आर साहू ने कार्यालय बुलाकर ऐसा अनुशंसा करना बताया गया था )
उक्त प्रकरण में शासकीय कार्य में बाधा पहुचाने , शासन को वित्तीय नुक्सान पहुचाने एवं आरोपियों को संरक्षण देने सम्बन्धी विभिन्न धाराओ अंतर्गत POR एवं FIR करने की कार्यवाही की जावेगी I

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