जशपुर। CG NEWS : शिक्षा विभाग के पथलगाँव विकासखण्ड में मंडल संयोजक का पद रिक्त था जिस पद में प्रभारी के रूप में नियुक्त होने के लिए कई शिक्षको ने आवेदन किया था जिस पद में नियुक्ति हासिल करने के लिए सहायक शिक्षक भी भागदौड़ में लग गये थे जबकि मण्डल संयोजक का पद सहायक शिक्षक के पद के समतुल्य भीं नहीं है। इसके पश्चात भी बिना जाँच किए विभाग के अधिकारियो द्वारा सहायक शिक्षक महेश यादव को मण्डल संयोजक बनने हेतु प्रस्ताव दे दिया गया। साथ ही सहायक शिक्षक अधिकारियों के साथ ही नेताओं के घरों के चक्कर भी लगाने लगे थे। इसे लेकर शहर में चर्चा का दौर शुरू हो गया था।
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जानकारों ने पद पर नियमों को ताक पर रखकर सहायक शिक्षक की नियुक्ति होने पर एक बार फिर विवादों में घिरने की आशंका जताई है। उल्लेखनीय है कि शिक्षा विभाग में छात्रावासों की देख-रेख के लिए मंडल संयोजक की नियुक्ति राज्य शासन की ओर से की जाती है। पत्थलगांव में इस पद पर सहायक शिक्षक महेश यादव को नियुक्त किया गया हैं। काफी लंबे समय से पत्थलगांव में यह पद रिक्त हो गया था। इसका आदेश सार्वजनिक होते ही शिक्षा विभाग में खलबली मच गई है। खास तौर पर सहायक शिक्षक में यह पद हासिल करने की होड़ लग गई थी। सहायक शिक्षकओ ने इसके लिए संबंधित अधिकारियों और नेताओं के घरों की दौड़ लगानी शुरू कर दी थी।
वहीं सहायक शिक्षक महेश यादव ने एन केन प्रकारेण यह पद हासिल कर लिया हैं। इसे लेकर एक बार फिर शहर में चर्चा का दौर शुरू हो गया है और नियमों को ताक पर रखकर जोड़-तोड़ के कयास लगाए जाने लगे हैं। गौरतलब है कि राज्य शासन के नियमानुसार अन्य पदों की भांति मंडल संयोजक के पद पर भी सहायक शिक्षक को नियुक्ति का पात्र नहीं माना गया है। सहायक शिक्षक को शिक्षकीय कार्य के लिए सर्वाधिक उपयुक्त माना जाता है और इस दृष्टिकोण से उन्हें केवल शिक्षकीय कार्य में ही लगाने का नियम बनाया गया है। परंतु विडंबना यह है कि सहायक शिक्षक को शिक्षकीय कार्य से अधिक रूचि अन्य पदों को हासिल करने में होती है। खास तौर पर पत्थलगांव विकासखंड इसके लिए चर्चित रहा है। यहां से कई सहायक शिक्षकओ ने शिक्षकीय कार्य छोड़कर अन्य पदों पर नियुक्ति हासिल की है।
सहायक शिक्षक महेश यादव ने जोड़-तोड़ या अन्य माध्यमों से नियुक्तियां हासिल कर ली हैं। शासन के नियमानुसार मंडल संयोजक के पद पर नियुक्ति की पात्रता केवल माध्यमिक स्कूल के प्रधानपाठक या शिक्षको को ही होती है। परंतु प्रधानपाठकों और शिक्षको को छोड़कर सहायक शिक्षक महेश यादव की नियुक्ति कर दिए जाने को लेकर विवाद होता नज़र आ रहा है जिसके बाद भी इन सहायक शिक्षक को इनके अतिरिक्त पदों से हटाकर शिक्षकीय कार्य में नही लगाया जा रहा है इस बार भी पद रिक्त होने की भनक लगते ही इन्हीं सहायक शिक्षक महेश यादव ने एक बार फिर जोड़-तोड़ के प्रयास से इस पद को हासिल कर लिया हैं। बताया जाता है कि कुछ सहायता शिक्षक जशपुर में अधिकारियों और नेताओं के घरों तक पहुंच बनाने का प्रयास करने लगे थे।
जानकारों का कहना है कि प्रशासन को इस पद पर नियुक्ति करते समय शासन के नियमों का खास ध्यान रखना चाहिए। जिसके मुताबिक इस पद पर सहायक शिक्षक की नियुक्ति नहीं हो सकती। उनका कहना है कि नियमों को ताक पर रखकर यदि सहायक शिक्षक को इस पद पर नियुक्त किया जाता है तो एक बार फिर से इसके विवादों में घिरने की संभावना है साथ ही बता दे सहायक शिक्षक होते हुए पूर्व में संकुल समन्वयक का कार्य भी संभल रहे थे जिसमे भीं कई बार विवादों में घिरे थे परन्तु अधिकारियो के साथ साठ गाँठ कर मामले को दबा दिया जाता था । बरहाल अब देखने वाली बात होगी कि क्या जिला प्रशासन या शिक्षा विभाग इस पर किस प्रकार कि कार्यवाही करती नजर आएंगी।