अंबिकापुर। CG NEWS : अंबिकापुर शहर में मिलावट खोरों ने भगवान को भी नहीं छोड़ा, ऐसा हम इसलिए कह रहे है क्योंकि शहर के बाबूपारा स्थित एक किराए के मकान में नकली घी के कारोबार का प्रशासन ने भंडाफोड़ किया है। यह घी नवरात्र में ज्योति जलाने में उपयोग में लाया जाने वाला था। दरअसल महाराष्ट्र के गोंदिया निवासी व्यवसायी द्वारा वनस्पति (डालडा) व सोयाबीन तेल से नकली घी बनाया जा रहा था। शुक्रवार को इसकी जानकारी जिला प्रशासन की टीम को मिली तो छापामार कार्रवाई की गई। टीम ने फैक्टरी में दबिश देकर 7.86 लाख रुपए के सोयाबीन, वनस्पति तेल सहित मिश्रित घी जब्त किया है। व्यवसायी द्वारा वनस्पति एवं सोयाबीन तेल को मिक्स कर एसेंस डालकर नकली घी तैयार किया जा रहा था। फैक्टरी के मालिक का कहना है कि नवरात्रि में मंदिरों में ज्योति कलश प्रज्ज्वलन हेतु घी तैयार किया जा रहा था। प्रशासन ने उक्त किराए के मकान को सील कर दिया है।
वरिष्ठ खाद्य सुरक्षा अधिकारी आरआर देवांगन ने बताया कि जांच के दौरान उपस्थित व्यक्ति राकेश ओमप्रकाश बंसल द्वारा सोयाबीन तेल तथा डालडा से घी का निर्माण किया जा रहा था।
उसके पास खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के तहत खाद्य पंजीयन व अनुज्ञप्ति नहीं पाया गया, जो कि अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन है। इस तरह कार्रवाई करते हुए मौके पर पाए गए किंग सोयाबीन तेल के 15 लीटर के 81 टीन, रजनी गोल्ड वनस्पति के 15 लीटर के 57 टीन तथा मिश्रित तेल-घी के 15 लीटर के 98 टीन और 150 लीटर के 8 ड्रम कुल मिलकर 4000 लीटर नकली घी को नियमानुसार जब्त किया गया।
कुल 7.86 लाख कीमत के सोयाबीन, वनस्पति तेल सहित मिश्रित घी को जब्त किया गया है। खाद्य नमूनों को मिलावट की शंका के आधार पर जांच हेतु राज्य खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला रायपुर भेजा गया। उन्होंने बताया कि फैक्टरी में घरेलू गैस का व्यवसायिक उपयोग करते पाया गया, इस कारण 2 नग घरेलू गैस व चूल्हा भी खाद्य विभाग द्वारा जब्त किया गया।
चार दिन पूर्व ही शुरु की गई थी नकली घी की फैक्टरी
अंबिकापुर के बाबूपारा में किराए में मकान लेकर महाराष्ट्र के गोंदिया निवासी राकेश बंसल द्वारा बड़े पैमाने पर नकली घी बनाने का कारोबार किया जा रहा था। बताया जा रहा है कि उसके द्वारा 4 दिन पूर्व ही फैक्टरी की शुरुआत की गई थी। राकेश बंसल ने बताया कि यह घी नवरात्रि में पूजा के उपयोग के लिए तैयार किया जा रहा था।
उसने ऑर्डर मिलने पर मंदिरों में ज्योति कलश प्रज्ज्वलित करने के लिए इस घी का उपयोग किए जाने की बात स्वीकार की है। हालांकि घी बनाने के लिए किसी भी तरह की न तो अनुमति नहीं ली गई थी और न ही कोई लाइसेंस है।