गरियाबंद- नगर के सिंधी समाज ने बुधवार को चेट्रीचंड महोत्सव मनाया, चेट्रीचंड्र पर्व के दिन सुबह से ही समाज के लोग उत्साहपूर्वक दिखे साथ ही सिंधी समाज ने नगर के आत्मानंद स्कूल के पास चेट्रीचंड्र भगवान की छाया चित्र की पूजा के बाद शरबत व मीठे जल के साथ काले चने का प्रसाद का प्रबंध किया था।जहां सैकडो लोगो ने प्रसाद ग्रहण किया,
झूलेलाल जी को जल के देवता वरुण का अवतार माना जाता है. चैत्र माह के शुक्ल पक्ष में चन्द्र दर्शन की तिथि को सिंधी चेटीचंड (ChetiChand) मनाते हैं. सिंधी समुदाय (Sindhi community) के लोगों के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक झूलेलाल जयंती है
चेटी चंड पर्व सिंधी समाज के आराध्य देव भगवान झूलेलाल के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व से सिंधी समाज के नववर्ष की शुरुआत भी होती है- अजय रोहरा
समाज सेवी अजय रोहरा ने बतलाया चैत्र शुक्ल द्वितीया से सिंधी नववर्ष का आरंभ होता है। इसे चेटीचंड के नाम से जाना जाता है। चैत्र मास को सिंधी में चेट कहा जाता है और चांद को चण्डु। इसलिए चेटीचंड का अर्थ हुआ चैत्र का चांद। इस बार यह पर्व 10 अप्रैल, बुधवार को मनाया जा रहा है और प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी धूमधाम से चेटीचंड पर्व मनाया जा रहा है साथ ही समाज के बुजुर्गों के साथ यहाँ आज भव्य प्रसादी वितरण का कार्यक्रम भी किया गया
संत झूलेलाल को लाल साईं, उदेरो लाल, वरुण देव, दरियालाल और जिंदा पीर भी कहा जाता है. सिंधी हिंदुओं के लिए संत झूलेलाल उनके उपास्य देव हैं. इस त्यौहार को चेटी चंड भी कहा जाता है. मान्यताओं के अनुसार संत झूलेलाल वरुण देव के अवतार माने जाते हैं. सिंधी हिंदुओं के लिए झूलेलाल झूलेलाल का मंत्र बिगुल माना जाता है. चंद्र-सौर हिंदू पंचांग के अनुसार, झूलेलाल जयंती की तिथि वर्ष और चेत के हिन्दू महीने की पहली तिथि को मनाया जाता है. सिंधी समुदाय के लोगों के लिए यह तिथि बेहद शुभ मानी जाती है क्योंकि इस दिन से सिंधी हिंदुओं का नया साल प्रारंभ होता है. हर नया महीना सिंधी हिंदुओं के पंचांग के अनुसार नए चांद के साथ प्रारंभ होता है इसलिए इस विशेष दिन को चेटी चंड भी कहा जाता है.
सिंधी समुदाय के लोगों के लिए होता है विशेष
जल के देव होने के कारण इनका मंदिर लकड़ी का बनाकर जल में रखा जाता है. इसके अलावा इनके नाम पर दीपक जलाकर भक्त आराधना करते हैं. चेटीचंड के अवसर पर भक्त इस झूलेलाल भगवान की प्रतिमा को अपने शीश पर उठाते हैं जिनमें परम्परागत छेज नृत्य किया जाता है. सिंध प्रांत से भारत में आकर भिन्न भिन्न स्थानों पर बसे सिंधी समुदाय के लोगों द्वारा झूलेलाल जी की पूजा की जाती हैं. तथा बहिराना साहिब के साथ छेज और नृत्य के साथ झांकी निकाली जाती है. झूलेलाल जी इष्ट देव हैं. सागर के देवता, सत्य के रक्षक और दिव्य दृष्टि के महापुरुष के रूप में इन्हें मान्यता दी गई हैं. ताहिरी, छोले (उबले नमकीन चने) और शरबत आदि इस दिन बनाते हैं तथा प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं. चेटीचंड की शाम को गणेश विसर्जन की तरह बहिराणा साहिब की ज्योति विसर्जन किया जाता हैं.
ये रहे उपस्थित- श्री राम माखीजा पम्मन रोहरा वीरभान दस रोहरा जमियत रोहण प्रकाश चंद रोहरा विकास राक़ी रोहरा सुनील रोहरा विकास रोहरा आशीष अजय रोहरा रितेश रोहरा अर्जुन रोहरा शिवम् रोहरा टंकेशवर निर्मलकर अजय सहित कई गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे