बैसाखी, जिसे वैशाखी के नाम से भी जाना जाता है. भारत के कई क्षेत्रों में बैसाखी का पर्व मनाया जाता है. लेकिन यह खासतौर पर पंजाब में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है. यह सिख समुदाय के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से बेहद खास है.
read more: Chhath Puja 2023 : रायपुर के महादेव घाट में रहा गजब का माहौल, मुख्यमंत्री, पूर्व सीएम एक मंच पर मिले, महिलाओं ने खोला निर्जला व्रत, देखें फोटोज
कैसे मनाते हैं बैसाखी का पर्व?
इस दिन लोग गुरुद्वारों में विशेष प्रार्थनाएं और समारोह आयोजित किए जाते हैं. अमृत संचार का आयोजन भी किया जाता है, जो सिख धर्म में दीक्षा संस्कार है. नगर कीर्तन या शोभायात्राएं निकाली जाती हैं, जिसमें लोग गुरु ग्रंथ साहिब को सजाए हुए रथ पर ले जाते हैं. लोग रंग-बिरंगे कपड़े पहनते हैं, गिद्धा और भांगड़ा नृत्य करते हैं और स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद लेते हैं. ढोल, नगाड़े और शहनाई की मधुर धुनें पूरे वातावरण को उत्सवमय बना देती हैं. बैसाखी के अवसर पर कई मेले आयोजित किए जाते हैं, जहां लोग विभिन्न प्रकार के सामानों की खरीदारी करते हैं, खेलों में भाग लेते हैं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद लेते हैं. बैसाखी के त्योहार में स्वादिष्ट भोजन का विशेष महत्व होता है।
अब जानिए इतिहास
साल 1699 को दसवें और अंतिम सिख गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी ने केसधारी सिखों के एक विशेष समुदाय खालसा पंथ की स्थापना की थी. सिख इतिहास में इस घटना ने विशेष मोड़ लिया था. बैसाखी उत्सव इसी की याद में मनाया जाता है. पंजाबी नव वर्ष बैसाखी के दिन से शुरू होता है. यह ऋतु परिवर्तन का प्रतीक है, क्योंकि सर्दियां समाप्त हो रही हैं और गर्मियों का आगमन हो रहा है. इसके अलावा बैसाखी रबी फसलों की कटाई का त्योहार भी है. किसान अपनी मेहनत का फल प्राप्त करते हैं और खुशियां मनाते हैं।
बैसाखी का महत्व
बैसाखी विभिन्न धर्मों और समुदायों के लोगों को एक साथ लाता है. यह भाईचारे और सामाजिक सद्भाव का प्रतीक है। बैसाखी पूरे उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है. बैसाखी सिर्फ एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा अवसर है जो विभिन्न धर्मों और समुदायों के लोगों को एक साथ लाता है. यह त्योहार भाईचारे, सामाजिक सद्भाव और समानता का प्रतीक है।