गरियाबंद | Special Story: गरियाबंद जिला और धमतरी जिला के बीच में पैरी नदी के ऊपर पहाड़ी पर स्थित मां निरई माता का मंदिर एक ऐसा मां का दरबार है दुनिया में ऐसे कई मंदिर हैं जो अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए है। इन रहस्यों के कारण ही ये मंदिर काफी प्रसिद्ध हैं। ऐसा ही एक मंदिर मोहेरा गांव के जंगल और पहाड़ के बीच पहाड़ी में विराजी निरई माता के प्रति क्षेत्र के श्रद्धालुओं की अगाध श्रद्धा है। मान्यता के अनुसार चैत्र नवरात्रि के प्रथम रविवार चाहे कोई भी तिथि पड़े, वर्ष में एक बार भक्तों को यहां दर्शन मिलता है। इसलिए दर्शन के लिए गरियाबंद, रायपुर, महासमुंद और धमतरी जिले के अलावा प्रदेश के विभिन्न जगहों से भक्त बड़ी संख्या में यहां आते हैं। इस चैत्र नवरात्रि मे माता का दरबार 14 अप्रैल 2024 रविवार को खुला था।
दरबार में महिलाओं का आना वर्जित
मान्यता के मुताबिक माता के इस दरबार में महिलाओं का आना-जाना वर्जित है। यहां का प्रसाद घर नहीं ला सकते । नवरात्रि पर्व में नौ दिनो तक बगैर तेल यहां दीप प्रज्जवलित होता है, जिसका प्रकाश काफी दूर तक दिखाई पड़ता है। यह चमत्कार कैसे होता है आज भी एक पहेली है । इस देवीस्थल की खासियत है, अगर पूजा में जरा भी चूक हुई, विधि-विधान से पूजा नहीं हुई, तो पहाड़ी की मधुमक्खियां भीड़ पर टूट पड़ती है।
साल में केवल एक बार खुलता है दरबार
पैरी नदी के किनारे माता का यह दरबार राजिम-गरियाबंद मुख्य मार्ग से 5 किमी की दूरी पर है । माता का यह दरबार साल में केवल एक बार खुलता है। लिहाजा भक्तों की रेलम-पेल भीड़ रहती है। लोग अपने अपने साधनों से यहां तक पहुंचते हैं। इस मंदिर में प्रतिवर्ष जात्रा का भी आयोजन किया जाता है। माता के दर्शन के लिए मोहेरा गांव के चारों तरफ दो पहिया एवं चार पहिया वाहनों का आना जाना आधी रात के बाद से ही शुरू हो जाता है।