सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार (18 अप्रैल) को ईवीएम-वीवीपैट मामले पर सुनवाई हुई. इस दौरान देश की शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग से कहा कि चुनावी प्रक्रिया में पवित्रता होनी चाहिए. आयोग से सवाल किया गया कि वह स्वतंत्र और निष्पक्ष इलेक्शन करवाने के लिए उठाए जा रहे कदमों के बारे में विस्तार से बताए।
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा, “यह (एक) चुनावी प्रक्रिया है. इसमें पवित्रता होनी चाहिए. किसी को भी यह आशंका नहीं होनी चाहिए कि जिस चीज की उम्मीद की जा रही है, वह नहीं हो रही है.” चुनाव आयोग की तरफ से कोर्ट में वकील मनिंदर सिंह पेश हुए हैं, जबकि याचिकाकर्ताओं की तरफ से वकील निजाम पाशा और प्रशांत भूषण पेश हुए.
ईवीएम में छेड़छाड़ कर पाना संभव नहीं: चुनाव आयोग
वीवीपैट मामले पर सुनवाई कर रहे जज ने चुनाव आयोग अधिकारी से पूछा कि आपके पास कितने VVPAT हैं? अधिकारी ने बताया कि हमारे पास 17 लाख वीवीपैट हैं. इस पर जज ने सवाल किया कि ईवीएम और वीवीपैट की संख्या अलग क्यों है? वहीं, अधिकारी ने यह समझाना चाहा, लेकिन जज को ही लगा कि उनका सवाल चर्चा को भटका रहा है. इसलिए उन्होंने अधिकारी को जवाब देने से मना कर दिया।
वीवीपैट पर्चियों को गिनने पर विचार हो
सुनवाई के दौरान वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि कम से कम यह आदेश दिया जाए कि वीवीपैट मशीन पारदर्शी हो और उसमें बल्ब लगातार जलता रहे, ताकि वोटर को पूरी तरह पुष्टि हो सके. वकील संजय हेगड़े ने कहा कि सभी वीवीपैट पर्चियों को गिनने पर विचार हो. अगर अभी यह नहीं हो सकता, तो कोर्ट अभी हो रहे चुनाव की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए कुछ अंतरिम आदेश दे. बाकी मुद्दों पर बाद में सुनवाई हो. सुनवाई के दौरान जज ने पूछा कि क्या-क्या जानकारी इस यूनिट में होती है? इसे कब अपलोड किया जाता है? इसके जवाब में अधिकारी ने बताया कि इसमें सीरियल नम्बर, सिंबल और नाम होता है. इसे मतदान से 1 सप्ताह पहले प्रत्याशियों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में अपलोड किया जाता है. इसके बाद इसे नहीं बदला जा सकता. उन्होंने आगे बताया कि प्रतिनिधियों को इस बात की पुष्टि करवाई जाती है कि जो बटन दबा, उसी की पर्ची वीवीपैट से निकली.