बिलासपुर | Bilaspur Lok Sabha Elections 2024: छत्तीसगढ़ राज्य के बनने के बाद से, भाजपा ने बिलासपुर लोकसभा सीट पर लगातार जीत दर्ज की है। मुंगेली जिला के उम्मीदवारों ने भी इस जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 1998 से 2019 तक, भाजपा के उम्मीदवारों ने हमेशा मुंगेली जिला के प्रतिनिधि के रूप में यहां से जीत हासिल की है। बीजेपी ने हर बार भारी मतों से विजय दर्ज की है, जबकि कांग्रेस ने कई बार इस अभेद्य किले को भेदने का प्रयास किया, पर सफल नहीं हुई।
कांग्रेस ने दिग्गज नेता देवेन्द्र यादव को दिया टिकट
इस बार कांग्रेस ने पार्टी के दिग्गज युवा नेता और भिलाई विधायक देवेंद्र यादव को चुनावी मैदान में उतारा है. वहीं, बीजेपी ने तोखन साहू पर भरोसा जताया है. दोनों ही दल के उम्मीदवार बिलासपुर से नहीं हैं. ऐसे में इस बार के चुनाव में बीजेपी अपने गढ़ को वापस बचा पाती है या फिर कांग्रेस के दिग्गज नेता बीजेपी के अभेद्य किले को भेदेंगे, ये तो चुनावी परिणाम ही बताएगा. आइए एक नजर डालते हैं बिलासपुर लोकसभा सीट के चुनावी इतिहास पर.
पिछले 7 चुनावों से जीत हासिल करती आ रही बीजेपी
बिलासपुर लोकसभा भाजपा का अभेद किला बन गया है. हालांकि एक समय में यह सीट कांग्रेस की झोली में रही है. भाजपा इसे हथियाने का प्रयास साल 1977 से शुरू कर दी थी. अब यह सीट पूरी तरह भाजपा के पाले में आ गई है. यहां से लगातार 7 बार बीजेपी लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करती आ रही है. इस अभेद किला को भेदने के लिए कांग्रेस ने देवेंद्र यादव को बिलासपुर लोकसभा सीट से टिकट दिया है. हालांकि दोनों ही दलों के नेता बिलासपुर से खुद को वोट नहीं कर पाएंगे, क्योंकि दोनों ही बिलासपुर के नहीं हैं. वैसे तो बिलासपुर लोकसभा शुरुआत में सामान्य सीट रही, लेकिन इसके बाद यह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दी गई थी. साल 2009 में बिलासपुर लोकसभा सीट सामान्य सीट हो गई. साल 2009 से 2014 तक दिलीप सिंह जूदेव सामान्य वर्ग के सांसद रहे, लेकिन इसके बाद भाजपा ने साल 2014 से साल 2024 तक पिछड़े वर्ग के उम्मीदवारों को अपना प्रत्याशी बनाया है.
कुल 20 लाख वोटर्स करेंगे फैसला
बिलासपुर लोकसभा सीट पर करीब 21 लाख वोटर हैं। इसमें क्रमशः सतनामी, आदिवासी, साहू, कुर्मी समाज का वर्चस्व है। जानकारी के लिए बता दें, इस लोस सीट की 8 विधानसभा में से 6 पर भाजपा तो 2 पर कांग्रेस का कब्जा है।