रायपुर। CG NEWS : छत्तीसगढ़ के विश्वविद्यालयों में कार्यपरिषद सदस्य नामांकित करने को लेकर उच्च शिक्षा विभाग और विधानसभा सचिवालय में ठन गई है। विभाग, विधानसभा के विशेषाधिकार हनन में फंसता नजर आ रहा है। विधानसभा ने विभाग को इस पर एतराज पत्र भेजा है।
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सूत्रों के मुताबिक उच्च शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल (Brijmohan Agarwal) ने पिछले दिनों प्रदेश के 9 राजकीय विश्वविद्यालयों के कार्य परिषद के लिए विधानसभा कोटे से विधायकों को सदस्य नामित किया था। इनमें विश्वविद्यालय के कार्य क्षेत्र में आने वाले विधायकों को तरजीह दी गई और उनमें अधिकांश भाजपा के विधायक शामिल हैं। इनमें से किसी विश्वविद्यालय में 5 से 2 सदस्य नामित किए जाने हैं।
उच्च शिक्षा सचिव प्रसन्ना ने मंत्री नामांकित सभी नामों को विधानसभा सचिवालय भेजकर नामित करने का प्रस्ताव भेजा। यह प्रस्ताव को विधानसभा सचिवालय ने नियम प्रक्रिया के अनुकूल नहीं था। सो सचिवालय ने इसे स्पीकर के विशेषाधिकार हनन माना। स्पीकर ने सभी नामों प्रस्तावों को नामंजूर कर वापस भेज दिया है और कहा है कि विभाग केवल एक लाइन का प्रस्ताव भेजे कि सदस्य नियुक्त किया जाना है। उस आधार पर अध्यक्ष नामांकित करेंगे। स्पीकर के इस पत्र से विभाग में हडक़ंप मच गया है और अब लोकसभा चुनावों के बाद इस पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
स्पीकर के विशेषाधिकार के मुताबिक वे, अपने में से (विधानसभा के कुल सदस्यों में से) ही कार्यपरिषद के सदस्य मनोनीत करते हैं। पूर्व के वर्षों में मप्र के समय में इसके लिए सदन की राय लेकर कार्यपरिषद के सदस्य मनोनीत किए जाते रहे हैं। राज्य गठन के बाद अध्यक्ष, सत्तापक्ष, विपक्ष के नेताओं की सहमति से मनोनीत करते रहे हैं।