बिलासपुर। Chhattisgarh News : हाईकोर्ट ने रिटायर्ड पुलिस निरीक्षकों के खिलाफ जारी चार्जशीट को निरस्त कर याचिकाकर्ताओं को रोके गये समस्त लाभ भी दिये जाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने पाया कि प्रकरण में आईजी की जगह एसपी को कार्रवाई का अधिकार था।
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बता दे नरेंद्र शर्मा, एमएल धृतलहरे, संजय भूषण सहित चार पुलिसकर्मियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया कि सेवाकाल के दौरान विभागीय जांच के बाद तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक बिलासपुर ने इन सबके नाम पर चार्जशीट जारी कर दी। इसके साथ ही बड़ी विभागीय सजा देते हुए इन सबकी वेतनवृद्धि भी रोक दी। रिटायरमेंट तक इनका बकाया वेतन नहीं दिया गया।
याचिकाकर्ताओं ने अधिवक्ता धीरज वानखेड़े के माध्यम से हाईकोर्ट में चुनौती दी। इसमें बताया कि2018 तक आईजी को यह कार्रवाई करने की अधिकारिता नहीं थी। पुलिस एक्ट में संशोधन के बाद यह अधिकार दिया गया है, जबकि यह मामला इससे पहले का है।
जस्टिस दीपक तिवारी की सिंगल बेंच ने सुनवाई के बाद कहा कि, सभी याचिकाओं में शामिल मुद्दों पर पहले ही यह निर्णय लिया जा चुका है कि, आईजीपी द्वारा जो आरोप पत्र जारी किया गया है, उसके लिए नियमानुसार आईजी अधिकृत नहीं थे। यह राज्य शासन द्वारा बनाए गए पुलिस नियमों के विपरीत भी है। इसलिए चार्जशीट कानून की नजर में उचित नहीं है।
कोर्ट ने इसे निरस्त करते हुए कहा कि अधिकारियों को यदि लगता है. तो पुलिस रेग्युलेशन एक्ट के अनुसार नए सिरे से कार्रवाई की जा सकती है।
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