MP NEWS : प्रसूताओ का सुरक्षित प्रसव कराने के लिए सरकार प्रत्येक स्वास्थ्य केन्द्र पर लाखों रुपए का बजट खर्च कर रही है, इधर स्वास्थ्य केंद्र पर डीजल बचाने के लिए प्रबंधन प्रसूतओं की जान से खिलवाड़ करने से नहीं चूक रहा है। मोबाइल की टॉर्च की रोशनी में एक प्रसूता की डिलीवरी कराने का मामला सामने आ रहा है।
इन्हें भी पढ़ें : CG BREAKING : कवर्धा हादसे के बाद अब यहां पलटा 40 ग्रामीणों से भरा टाटा एस वाहन, एक ग्रामीण की मौत, आधा दर्जन घायल
खनियांधाना स्वास्थ्य केन्द्र वैसे तो जिले की सबसे खराब अस्पताल में गिनती होती है। इस अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाएं शून्य है। बीते रोज रात 8 बजे स्वास्थ्य केन्द्र में एक प्रसूता की डिलीवरी मोबाइल की सहायता से कराई गई,क्योंकि स्वास्थ्य केन्द्र में लाइट नहीं थी, लेकिन जनरेटर तो मौजूद था,लेकिन उसका उपयोग नहीं किया गया। क्योंकि जो सरकार की तरफ से डीजल आता है उसकी बचत स्वास्थ्य केंद्र में की जाती हैं।
रानी देवी निवासी चमरौआ ने बताया कि मैं अपनी बहू की डिलीवरी कराने खनियांधाना के स्वास्थ्य केंद्र में लाई थी, करीबन रात के 8 बजे की बात हैं हम लोग स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचे जहां लाइट की कोई व्यवस्था नहीं थी बस अंधेरा था। इसलिए डॉक्टर ने नर्स के हाथ में मोबाइल पकड़ाकर डिलीवरी की गई। जिसमें प्रसूता को काफी तकलीफ का सामना करना पड़ा, क्योंकि स्वास्थ्य केन्द्र में लाइट नहीं थी, जिसके बाद प्रसूता एक तो उस दर्द को झेल रही थी और दूसरा गर्मी को।
गुस्साए बुजुर्ग ने कहा कि इस अस्पताल में किसी चीज की व्यवस्था नहीं हैं हम जैसे बुजुर्ग ऐसे भटक रहे हैं। खनियांधाना जिले की सबसे बड़ी तहसील होने के बाद भी कोई व्यवस्था नहीं हैं जबकि खनियांधाना में 101 के लगभग पंचायत हैं और 500 से ज्यादा गांव हैं। और सभी गांव वाले खनियांधाना के स्वास्थ्य केंद्र में ही अपना इलाज कराने के लिए आते हैं और यहां इतनी लापरवाही बरती जायेगी तो हम लोग कहां जायेंगे।
45 डिग्री के टेम्प्रेचर पर खोलता गर्म पानी पीने को मजबूर
स्वास्थ्य केन्द्र में बाटर कूलर होने के बाद भी हमें इस 45 डिग्री के टेम्प्रेचर में खौलता हुआ गर्म पानी पीना पड़ रहा हैं जबकि वाटर कूलर अस्पताल में मौजूद हैं बस लाइट की बचत करने के लिए परिजन और हमारे मरीजों को गर्म पानी पिलाया जा रहा हैं। इसके साथ ही स्वास्थ्य केन्द्र में बाथरूम होने के बाद भी उसमे ताला डाल दिया जाता हैं, इन सब चीजों से डॉक्टर को कोई फर्क नहीं पड़ता की मरीज रात में, दिन में शौच करने कहा जायेगा। बस वह तो ताला डालकर अपने घर चला जाता हैं। इतनी बड़ी लापरवाही बरती जा रही हैं।