पुणे पोर्श कार हादसे की चर्चा हर जगह हो रही है. देश में ऐसा कोई शख्स नहीं जो इस भीषण सड़क हादसे का जिक्र नहीं कर रहा. इस बीच, केस में बड़ा अपडेट सामने आया है. दरअसल, पुणे की एक विशेष अदालत ने नाबालिग आरोपी के पिता समेत सभी 6 अपराधियों को 7 जून तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है
इस केस में नाबालिग आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल के खिलाफ दो और मुकदमे दर्ज होंगे. जानकारी के अनुसार, विशाल के खिलाफ धारा 201 और धारा 420 के तहत मामला दर्ज किया जाएगा.पुणे के पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने कहा कि इस केस में ऐसा दिखाने की कोशिश की गई है कि हादसे के समय गाड़ी 17 वर्षीय किशोर नहीं चला रहा था बल्कि एक वयस्क पोर्श कार को चला रहा था. उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि आंतरिक जांच में मामला दर्ज करने में कुछ पुलिस कर्मियों की चूक की ओर इशारा किया गया है और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.कुमार ने कहा- हमारी जांच के दौरान यह बात साफ हो गई है कि किशोर ही कार चला रहा था और हमने घटनाक्रम से संबंधित सभी जरूरी साक्ष्य जुटा लिए हैं. उदाहरण के लिए जब किशोर घर से निकला था तो रजिस्टर में उसके कार के साथ घर से निकलने की एंट्री है. पुलिस आयुक्त ने कहा- कि तकनीकी और सीसीटीवी साक्ष्यों के आधार पर इस बात की पुष्टि हुई है कि कार को किशोर चला रहा था. उन्होंने कहा कि चश्मदीदों ने भी इस बात की पुष्टि की है कि घटना के समय कार किशोर चला रहा था।
पिता के खिलाफ केस दर्ज
खून के निशान के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा कि किशोर को मामला दर्ज होने के बाद रविवार सुबह करीब नौ बजे ससून अस्पताल भेजा गया था. उन्होंने स्वीकार किया, रक्त के नमूने लेने में देरी हुई और रात 11 बजे नमूने लिए गए लेकिन हमारे मामले में खून की रिपोर्ट प्रमुख आधार नहीं है. कुमार ने कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) के तहत मामला दर्ज किया गया है और किशोर को अच्छी तरह पता था कि नशे की हालत में गाड़ी चलाने से इस तरह का अपराध हो सकता है और लोगों की जान जा सकती है.एहतियाती उपाय के रूप में, एक अन्य प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए अतिरिक्त रक्त नमूने लिए गए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नमूने और डीएनए रिपोर्ट दोनों एक ही व्यक्ति के हों. उन्होंने कहा, हमें रक्त जांच की रिपोर्ट नहीं मिली हैं लेकिन प्रक्रिया को तेज किया जा रहा है
हादसे को लेकर एकशन में पुणे पुलिस
पुलिस आयुक्त ने कहा कि मामले को पुख्ता बनाने के लिए सभी साक्ष्य जुटाये जा रहे हैं. एसीपी स्तर के एक अधिकारी को जांच सौंपी जा रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या सबूतों के साथ छेड़छाड़ या उन्हें नष्ट करने का कोई प्रयास किया गया था. उन्होंने यह भी कहा कि अदालत में पुलिस का पक्ष प्रभावी तरीके से रखने के लिए विशेष वकीलों की नियुक्ति की जाएगी. कुछ पुलिस कर्मियों को गलत तरह से काम कराने के लिए मनाने के आरोपों के बारे में शिकायतों पर कुमार ने कहा कि पुलिस ने शुरू से ही सख्त रुख अपनाया है.