मनोज श्रीवास्तव/ मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर। CG NEWS : जिले के भरतपुर विकासखंड के जनकपुर भगवानपुर में रहने वाला एक परिवार ने अपनी नन्ही मुन्नी बच्ची के इलाज के लिए पूरी संपत्ति दांव पर लगा दिया है, जैसे-जैसे यह ननिहाल बच्ची बढ़ रही है वैसे-वैसे इसकी बीमारी भी बढ़ रही है, जिसे देखकर माता-पिता दोनों रो रो कर व्याकुल हो रहे हैं आखिर में कब उनकी समस्या निदान करने कोई मसीहा बनकर सामने आएगा इस परिवार में इस बच्ची के लिए अपनी पूरी संपत्ति दान पर लगा दी अब तो खाने के लाले भी पढ़ने लगे हैं।
जब ग्रैंड न्यूज़ की टीम ने इस बैगा परिवार के घर जाकर इस बच्ची को देखा तो, इसकी मां ने विलक विलक कर बयां किया उसे सुनकर रिपोर्टर के आंख में आंसू आ गए, इस निहाल बच्चे के चेहरे को देखा तो बच्ची ने देखकर खेलना शुरू कर दिया, ननिहाल बच्ची जो अपनी इस बीमारी से जन्म से ही लड़ रही है, यह बच्ची कैसे खेलती है, कैसे खाती है, कैसे दूध पीती है, माता-पिता जब इस बच्ची को देखते हैं तो उनकी आत्मा तड़पत उठती है। कोई जनप्रतिनिधि तक इनके सहयोग के लिए सामने नहीं आए, इलाज करने के लिए गांव वालों ने 100 /50 /10 देकर इन्हें राजधानी के एम्स हॉस्पिटल तक भेजा। यह बैगा परिवार अपने घर की मवेशियों को बेचकर अपनी जमीन गिरवी रखकर बच्चों की इलाज के लिए सारे संपत्ति को दाव में लगाकर दाने-दाने को मोहताज है। क्या बैगा परिवार इस बच्ची को इस दुनिया में जीने का अधिकार नहीं है ? क्या माता-पिता इस ननिहाल बच्ची के लिए किसी मसीहा का इंतजार करते रहेंगे ? क्या कोई मसीहा इनके सामने आकर उनकी मदद करेगा ? यह एक बहुत बड़ा प्रश्न है, आखिर में कब तक शासन प्रशासन ऐसे गरीब परिवार को अनदेखा करता रहेगा। करोड़ अरबो रुपए के दावा करने वाले जनप्रतिनिधि उन ग्रामीण क्षेत्रों में शायद ही पहुंच पाते हैं, जहां ग्रामीण क्षेत्र के आदिवासी परिवार के बच्चों का कैसे भरण पोषण होता है और कैसी जिंदगी जीते हैं।
हिरमतिया ग्रामीण महिला ने बताया कि मैं जनकपुर हॉस्पिटल से लेकर राजधानी के एम्स हॉस्पिटल तक अपनी बच्ची को लेकर गई, लेकिन वहां भी यह कह कर टाल दिया गया कि अभी बच्ची कमजोर है, इसे खिलाओ, इसकी देखरेख करो, लेकिन मेरे पास खुद के खाने के पैसे नहीं है, रोज कमाना और रोज खाना पड़ता है, मैं अपनी इस नन्ही बच्ची का इलाज कैसे कराऊं ? गांव वालों ने मेरी मदद की मुझे 100, 50, 10 रूपये देकर रायपुर तक बच्चे के इलाज के लिए भेजा, लेकिन आज तक कोई सामने नहीं आया। गांव के भी सरपंच से मदद मांगी, तो उनका भी कहना था कि मिश्रा जी से बात करके बताऊंगा, लेकिन आज तक सरपंच भी बता रहे हैं, महिला अपनी बयान करते-करते भावुक हो गई और उसके आँखों से आंसू झलक पड़े।
सुखराम बच्ची का पिता ( बिना कपड़ा पहने हुए ) ने बताया कि मैं अपनी बच्ची के लिए अपने मवेशी और जमीन तक दाव पर लगा दिया, लेकिन अभी तक मेरी बच्ची का इलाज नहीं हो पाया, जनप्रतिनिधि तक के दरवाजा खटखटा है, कोई सुनने वाला नहीं, कोई देखने वाला नहीं, आज जिस हाल में मेरी बच्ची है, देख देख कर आत्मा भी रोने लगता है, क्या करूं किसके पास जाऊं कौन मदद करेगा।
गांव के सरपंच का कहना है कि मेरे पास या बैगा परिवार अपनी बच्ची की समस्या लेकर आया था, जिनकी जन्म से ही सर में सूजन है और एक बीमारी से ग्रस्त है, इसके इलाज के लिए कोई जनप्रतिनिधि तक सामने नहीं आया है, जैसे तैसे यह बच्चे के इलाज के लिए भटक रही है ,लेकिन आज तक इसका इलाज नहीं हो पाया।
डॉ. राजीव कुमार रमन बी एम ओ जनकपुर
डॉक्टर का कहना है कि जो इस बच्चे को जो बीमारी है वह जन्म से ही है और बच्चे को लेकर इसके परिजन मेरे पास आए थे, इसका चेकअप करा कर एक बार हमने इसे रायपुर के अस्पताल में इलाज के लिए भेजा था, जहां बच्ची का वजन कम होना पाया गया, जिस वजह से बच्ची को एनेस्थीसिया देना उचित नहीं था, इसलिए बच्ची का वजन बढ़ाने के लिए मां-बाप को बोला गया था कि बच्चे का जब वजन बढ़ जाएगा तब बच्चे की इलाज हो पाएगा।