हर साल 19 जून को विश्व सिकल सेल (World Sickle Cell) डे मनाया जाता है। सिकल सेल एक जेनेटिक बीमारी है, जो माता-पिता से बच्चों में ट्रांसफर होती है। इसमें रेड ब्लड सेल्स में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और सेल का आकार गोल नहीं बनता है। जिसकी वजह से यह सेल आधे चांद या फिर हंसिए की तरह नजर आता है। इसलिए इसे सिकल (हंसिया) सेल कहते हैं। जिसके चलते बच्चे की ग्रोथ पर असर पड़ता है।
इतिहास(history)
इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से 22 दिसंबर 2008 को संयुक्त राष्ट्र की महासभा में 19 जून को विश्व सिकल सेल जागरूकता दिवस (World Sickle Cell Awareness Day) के रूप में मनाए जाने का फैसला लिया गया था। जिसके बाद से हर साल इस दिन को विश्व स्तर पर मनाया जाता है। पहली बार सिकल सेल जागरूकता दिवस 19 जून 2009 को आयोजित किया गया था। ग्लोबल अलायंस ऑफ सिकल सेल डिजीज आर्गेनाईजेशन की स्थापना 10 जनवरी, 2020 को एम्स्टर्डम, नीदरलैंड में की गई थी।
विश्व सिकल सेल दिवस 2024 की थीम(theme)
विश्व सिकल सेल दिवस को हर साल एक नई थीम के साथ मनाया जाता है। इस साल विश्व सिकल सेल दिवस की थीम है- Hope Through Progress: Advancing Sickle Cell Care Globally’साल 2023 में इसकी थीम थी- ” वैश्विक सिकल सेल समुदायों का निर्माण और सुदृढ़ीकरण, नवजात शिशुओं की जांच को औपचारिक बनाना और अपनी सिकल सेल रोग स्थिति को जानना”।साल 2022 में इस दिन को ‘शाइन द लाइट ऑन सिकल सेल’ थीम के साथ मनाया गया था।
सिकल सेल बीमारी के लक्षण
- हड्डियों-मांसपेशियों का दर्द
- हाथ-पैरों में सूजन
- थकान और कमजोरी
- एनीमिया के कारण पीलापन
- किडनी की समस्याएं
- बच्चों के विकास में बाधा
- आंखों से जुड़ी दिक्कतें
इन्फेक्शन की चपेट में आना
कैसे कर सकते हैं बचाव?
सिकल सेल डिजीज से बचाव के लिए, सबसे पहले इसके कारणों को समझना बेहद जरूरी है। ज्यादातर केस में यह बीमारी अनुवांशिक कारणों के चलते होती है। यानी अगर माता-पिता या दोनों में से कोई एक भी इसकी चपेट में है, तो बहुत हद तक बच्चे में भी इसके ट्रांसफर होने का रिस्क रहता है। इस बीमारी के जीन के एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ट्रांसफर होने की बड़ी आशंका रहती है। इसलिए बचाव के लिए जरूरी यह है कि शादी से पहले आप अनुवांशिक परामर्श जरूर लें।