रायपुर। World Sickle Cell Day 2024 : सिकल सेल एक गंभीर बीमारी है. समय पर अगर इसका इलाज नहीं किया गया तो ये जानलेवा भी साबित हो सकता है. सिकल सेल के खतरे से लोगों को जागरुक करने के लिए सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र तिल्दा नेवरा में जागरुकता शिविर का आयोजन किया गया सिकल सेल दिवस के उपलक्ष में सिकल सेल स्क्रीनिंग, जन जागरूकता, प्रचार-प्रसार काउंसलिंग किया गया।
सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र तिल्दा नेवरा की बी एम ओ डॉक्टर उमा पैकरा और डॉक्टर आशीष सिन्हा ने लोगों को जानकारी देते हुये कहाँ सिकलसेल एक जैनेटिक रोग है. इसमें गोलाकार लाल रक्त कण जिसे हम हीमोग्लोबिन कहते हैं, हंसिये के रूप में परिवर्तित होकर नुकीले और कड़े हो जाते हैं. जिसके कारण शरीर की सभी कोशिकाओं तक पर्याप्त मात्रा मे ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता है. रक्त कण शरीर की छोटी रक्त नलियों में फंसकर लिवर, तिल्ली, किडनी, मस्तिष्क आदि अंगों के रक्त प्रवाह को बाधित कर देता है. समय पर इस बीमारी का इलाज किया जाए तो ये क्योर हो सकता है. इसकी अनदेखी मरीजों पर भारी पड़ सकती है।
कैसे होती है ये बीमारी: कई बार ये बीमारी हमें अपने पूर्वजों के जीन से मिलती है. अगर परिवार में माता पिता को ये बीमारी है तो बच्चे में ये बीमारी होने की संभावना काफी बढ़ जाती है. सिकल सेल के लक्षण जैसे ही किसी में नजर आए उसे नजर अंदाज नहीं करें. जितनी जल्दी हो एक्सपर्ट डॉक्टर से मिले. समय पर बीमारी का इलाज कराएं. समय पर उपाय करने से बीमारी को बहुत हद तक रोका जा सकता है.कार्यक्रम में डॉक्टर सरोज गन्धर्व ,आशीष जेम्स ,देवशरण नेताम .भोला ,आशीष जेम्स ,ममता सुनानी ,मितानीन बहने ,नर्सिंग स्टाफ तथा सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र तिल्दा नेवराके कर्मचारीगण उपस्थित रहे डाक्टरों ने सिकल सेल के लक्षण के बारे में जानकारी देते हुए बताया की ,बच्चों के ग्रोथ में देर होना,लगातार इंफेक्शन का बने रहना,आंखों से जुड़ी बीमारियों का रहना ,हाथ पैरों में दर्द और सूजन आना,हड्डियों में दर्द का अनुभव होना ऐसा कुछ भी नजर आये तो तत्काल ही डाक्टर से सम्पर्क करें।