गरियाबंद: जय जगन्नाथ, जय जगन्नाथ…कृपा करो हे जगन्नाथ…बोल कालिया धीरे धीरे जैसे-जैसे रथ आगे बढ़े, दुनिया का भय व दरिद्र घटे…ऐसे ही उत्साहित भक्ति पंक्तियों के साथ भक्तों ने प्रभु जगन्नाथ, बहन सुभद्रा व भाई बलभद्र का रथ खींचा. सोमवार को बहुड़ा यात्रा के साथ प्रभु जगन्नाथ श्री राम जानकी मंदिर से महाप्रभु नगर भ्रमण कर गुंडीचा मंदिर पुराना मंगल बाजार गया था आज पवित्र बाहुड़ा यात्रा के दिन महाप्रभु पुनः अपने मंदिर वापिस आए मंदिर में छेरा पहरा की रस्म जगन्नाथ युवा समिति के सदस्यों ने निभायी. रस्म अदायगी के बाद वापसी रथयात्रा शुरू हुई. प्रभु जगन्नाथ के जयकारे से गरियाबंद गूंज उठा. हर जयकारे के साथ श्रद्धालु का उत्साह व श्रद्धा देखते ही बन रहा था.
भगवान से सुखमय जीवन की कामना
मौसीबाड़ी में नौ दिनों तक भाई-बहनों के साथ रहने के बाद सोमवार को भगवान जगन्नाथ की राम मंदिर से बहुड़ा यात्रा शुरू हुई. श्रद्धालुओं ने मंगल बाजार मंदिर से भगवान जगन्नाथ के रथ खींचा और उन्हे श्री राम जानकी मंदिर लाया गया पूरे रास्ते भगवान जगन्नाथ के जयकारे से गूंज उठा गरियाबंद
बहुड़ा यात्रा के साथ मौसीबाड़ी से लौटे प्रभु, भक्तों ने खींचा रथ
19 जुलाई तक रथ पर हीं भक्तों को देंगे दर्शन
भगवान जगन्नाथ 19 जुलाई तक जगन्नाथ मंदिर के बाहर रथ पर ही भक्तों को दर्शन देंगे. 19 जुलाई को रात्रि 8.30 बजे भगवान जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश करेंगे. भगवान जगन्नाथ बहुरा यात्रा को लेकर सुबह से ही जगन्नाथ युवा समिति के सदस्यों में उत्साह देखते ही बन रहा था समिति के सदस्यों ने बताया कि जब भगवान जगन्नाथ मौसीबाड़ी से लौटते हैं, तो भक्तों पर अपना आशीर्वाद बरसाते हैं. भक्त भी भगवान के दरबार में पहुंचकर आशीर्वाद ग्रहण करते हैं. पूजा-भजन कर अपने तमाम दु:खों, ग्रह पीड़ाओं के निराकरण के लिए प्रार्थना करते हैं. भगवान भक्तों के हर दुख को दूर कर देते हैं.
नाराज माता लक्ष्मी को गुलाब जामुन खिला कर मनाया
रथयात्रा उत्सव के दौरान कई सारी परंपराएं निभाई जा रही हैं। इन्हीं परंपराओं में से हेरा पंचमी निभाई गई। परंपरा के अनुसार माता लक्ष्मी भगवान जगन्नाथ से भेंट करने आती हैं लेकिन द्वारपाल मंदिर का दरवाजा बंद कर देते हैं। इससे नाराज हो कर लक्ष्मी जी भगवान जगन्नाथ के रथ का पहिया तोड़कर पुरी के हेरा गोहिरी साही में बने अपने मंदिर में वापस लौट जाती हैं। जब जगन्नाथ जी को इस बारे में पता चलता है तो वो लक्ष्मी जी को मनाने के लिए कई तरह की बेशकीमती भेंट और मिठाई लेकर उनके मंदिर पहुंचते हैं। इस परंपरा में भगवान जगन्नाथ विशेष रूप से रसगुल्ले माता लक्ष्मी के लिए ले जाते हैं।
करताल व मृदंग बजाकर भक्तों ने प्रभु की स्तुति झूम कर नाचे युवा
मान्यता , भगवान के रूपों का वर्णन करने से पाप कटते हैं. मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है. भगवान भक्तों पर प्रसन्न होकर उन्हें आठ प्रकार की सिद्धियां प्रदान करते हैं. पुराना मंगल बाजार मंदिर से
बहुडा यात्रा शुरू हुई, जो विभिन्न चौक चौराहे से होते हुए राम जानकी मंदिर पहुची, यहां संध्या में भजन-कीर्तन हुआ, जो देर शाम तक चलता रहा