बच्चों का भविष्य अंधेरे पर सारंगढ़ जिले के दर्जनों बच्चे अपनी जिन्दगी को ताक में रखकर इस स्कूल में पढ़ाइ करने आते हैं. जहां ना तो कोई सुविधा है ना किसी तरह से ये सुरक्षित ही है. 35 बच्चे भेड़-बकरियों की तरह यहां पढ़ाई करने को मजबूर हैं.
छत्तीसगढ़ के सारंगढ़ जिले में दर्जनों ऐसे जर्जर स्कूल हैं. जहां जिन्दगी को ताक में रखकर बच्चे पढ़ाई करने को मजबूर हैं. टूटी छत, दीवारों में दरार, खिड़कियों के अंदर आता बारिश का पानी, यहां आम बात है. ऐसे स्कूल में बच्चों का पढ़ना खतरे से खाली नहीं है. बावजूद इसके बच्चे सुविधाओं के अभाव में ऐसे स्कूलों में पढ़ने आते हैं.दरअसल, हम बात कर रहे हैं सारंगढ़ के अंतर्गत पड़ने वाले कांदूरपाली गांव के प्राइमरी स्कूल की. इस स्कूल में कुल 35 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं.दो शिक्षक है यहां 1 से 5वीं तक के बच्चे पढ़ते हैं. जर्जर भवन के चलते प्राथमिक शाला के बच्चों को भेड़ बकरियों की तरह आंगनबाड़ी बच्चो को एक साथ कक्ष में बैठ कर पढ़ाई करने को मजबूर हैं. आंगनबाड़ी कक्ष में ही कक्षा पहली से पांचवीं तक की कक्षाएं लगाई जा रही है.।शासन से हो चुकी है स्वीकृति राशि पर भी नहीं हो रही जर्जर भवन की मरम्मत।
विद्यालय में तालाबंदी करने की चेतावनी दी
ग्रामीण और पालकों के पिछले दो तीन सालों में सैकड़ों शिकायत के बाद भी अब तक ना तो नया भवन बना और ना ही जर्जर भवन की मरम्मत की गई है. शासन प्रशासन की अनदेखी के चलते पिछले दो तीन सालों के शिकायत के बाद भी शिक्षा का मंदिर नहीं बन पाया है. हालात के अनदेखी और गैर जिम्मेदाराना रवैए के चलते विद्यालय समिति के पदाधिकारियों ने विद्यालय में तालाबंदी करने की चेतावनी दी है.जिला शिक्षा अधिकारी वर्षा बंसल ने बताया कि जिले के जिस भी स्कूल में असुविधा है. वहां की जानकारी मिली है सुधार कार्य करवाया जाएगा. बच्चों के जान को जोखिम में नहीं डाल सकते हैं.।