सतना | Shiva Mandir : मध्य प्रदेश के चित्रकूट विधानसभा में एक ऐसा मंदिर है, जहां खंडित शिवलिंग की पूजा होती है. यह मंदिर बिरसिंहपुर स्थित गैवीनाथ धाम मे हैं, जहां खंडित शिवलिंग की पूजा के लिए हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं. इस शिवलिंग को उज्जैन महाकाल का दूसरा उपलिंग भी कहा जाता है. हर सोमवार को हजारों की संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है. वहीं सावन माह और महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों से भी लाखों की तादाद में श्रद्धालु पूजा अर्चना करने पहुंचते हैं. इस शिवलिंग का वर्णन पाताल पुराण में किया गया है.
पद्म पुराण के अनुसार त्रेता युग में बिरसिंहपुर कस्बे में राजा वीरसिंह के आग्रह पर महाकाल ने यहां दर्शन देते रहने का आशीर्वाद दिया था. राजा वीरसिंह प्रतिदिन भगवान भोलेनाथ महाकाल को जल चढ़ाने के लिए घोड़े पर सवार होकर उज्जैन महाकाल दर्शन करने के लिए जाते थे. जैसे जैसे राजा वृद्ध होते गए उन्हें उज्जैन जाने में परेशानी होने लगी. एक बार राजा ने भगवान महाकाल के सामने अपने मन की बात रखी, कहा कि भगवान हमें हमारी नगरी में दर्शन दें, ताकि मैं आपकी पूजा अर्चना कर सकूं. भगवान महाकाल ने एक रात राजा वीर सिंह को स्वप्न में आकर बताया कि मैं देवपुर में दर्शन दूंगा, और भगवान भोलेनाथ गैविनाथ के नाथ रूप में प्रकट हुए!
इस बीच नगर में गैवी यादव नामक व्यक्ति के घर के चूल्हे से रात को शिवलिंग रूप निकलता था, जिसे उसकी मां मूसल से ठोक कर अंदर कर देती थी. कई दिनों तक यह सिलसिला चलता रहा. महाकाल ने फिर राजा को स्वप्न देकर कहाकि मैं तुम्हारे नगर में निकलना चाहता हूं, लेकिन गैवी यादव मुझे निकलने नहीं देता. राजा ने गैवी यादव को बुलाकर स्वप्न की बात बताई. जिसके बाद गैवी के घर की जगह को खाली कराया गया, राजा ने उस स्थान पर भव्य मंदिर का निर्माण कराया और भगवान महाकाल के कहने पर ही शिवलिंग का नाम गैवीनाथ धाम रख दिया गया.
इस शिवलिंग की किवदंती है कि यह स्वयंभू स्थापित शिवलिंग है, जो कि खंडित शिवलिंग हैं, विदेशी आक्रमणकारियों ने यहां सोना पाने के लालच में इस शिवलिंग को खंडित करने का प्रयास किया था, जिसमें शिवलिंग पर टाकी मारी गई थी, जब पहली टाकी मारी तो उसमें से दूध निकला, दूसरी टाकी में खून, तीसरी टाकी में मवाद, चौथी टाकी में फूल बेलपत्र आदि और पांचवी टाकी में जीवजंतु निकले, जिसके बाद आक्रमणकारियों को वहां से भागना पड़ा था.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गैवीनाथ धाम में चारोंधाम का जल चढ़ता है, पूर्वज बताते हैं कि चारों धाम में भगवान के दर्शन करने से जितना पुण्य मिलता है, उससे कहीं ज्यादा गैवीनाथ में चारों धाम का जल चढ़ाने से मिलता है, ऐसी मान्यता हैं कि चारधाम करके आने के बाद वहां का जल अगर यहां नहीं चढ़ाया तो चारों धाम की यात्रा अधूरी मानी जाती है, यहां पर पूरे विंध्य क्षेत्र से भक्त पहुंचते हैं. हर सोमवार यहां हजारों भक्त पहुंचकर भगवान भोलेनाथ की पूजा करते हैं और मन्नत मांगते हैं, लेकिन सावन माह में पड़ने वाले सोमवार को इस स्थान की महत्त्वता और बढ़ जाती है, वही मंदिर में सावन माह में भगवान गैविनाथ का श्रृंगार किया जाता है जिससे स्थान की दिव्यता और भयव्यता देखते ही बनती है!