छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के गरियाबंद जिले (Gariaband) में दंतैल हाथी (Tusked Elephant) पहुंचा हुआ है, जो कि धान की फसलों को लगातार नुकसान पहुंचा रहा है. बताया जा रहा है कि यह हाथी दल (Elephant Group) से बिछड़ने और अकेले होने के चलते काफी खतरनाक हो गया है.
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हाथी के आने से चिंगरा पगार वाटरफॉल को सुरक्षा के मद्देनजर बंद किया है । हाथी की मौजूदगी के बाद वन विभाग ने कई गांवों में अलर्ट जारी कर दिया है. विभाग ने पोंड, नागझर, पचपेड़ा , विजयनगर सहित 20 अधिक गांव में अलर्ट जारी किया है. वन विभाग ने ग्रामीणों को जंगल की ओर न जाने की हिदायत दी है. इसके साथ ही वन विभाग हाथी को लगातार ट्रैक कर रहा है.
बार-बार क्यों आते हैं हाथी?
गरियाबंद, धमतरी और महासमुंद, तीनों ही जिले में धान की बंपर फसल की पैदावार होती है. धान जो कि हाथियों का प्रिय भोजन है, इसके अलावा हाथियों को महुआ भी काफी ज्यादा पसंद है इसलिए यह क्षेत्र धीरे-धीरे हाथियों के लिए अनुकूल होते जा रहा है. इन क्षेत्रों में नदी-नाले और तालाब भी काफी संख्या में पाए जाते हैं, जिसके चलते हाथी अब इन क्षेत्रों के अनुकूल होने लगे हैं और इन्हीं क्षेत्रों में विचरण करते रहते हैं.
हाथियों का अलग-अलग होता है भोजन
उदंती सीता नदी अभ्यारण क्षेत्र के उपनिदेशक वरुण जैन ने बताया कि शहरों और अभ्यारण के अंदर रहने वाले हाथियों का खान-पान, आदत और शैली सभी में काफी फर्क रहता है. वर्तमान में सीकासेर शहर के जंगलों में 35 से 40 की संख्या में हाथियों का दल अभ्यारण के अंदर विचरण कर रहा है. अभ्यारण में रहने वाले हाथी फसलों और मकान को काफी कम नुकसान पहुंचाते हैं