रायपुर । मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने देश के सबसे बड़े केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल ’केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल’ (सीआरपीएफ) के आज स्थापना दिवस पर सभी वीर जवानों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं।
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सीआरपीएफ के जाबांजों के साहस, पराक्रम और बलिदान को सलाम करते हुए साय ने कहा है कि उनकी देश सेवा, समर्पण और निष्ठा के हम सब भारतवासी ऋणी हैं।
अधिनियम द्वारा बल का नाम बदलकर सीआरपीएफ कर दिया
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) स्थापना दिवस हर साल 27 जुलाई को मनाया जाता है, इस दिन 1039 में केंद्रीय बल का गठन किया गया था। सीआरपीएफ भारत की आंतरिक सुरक्षा का एक अभिन्न अंग है और सबसे पुराने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) में से एक है।मूल रूप से 1939 में क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस के रूप में गठित, सीआरपीएफ भारत में आंतरिक लड़ाकू बल था। 28 दिसंबर 1949 को संसद द्वारा पारित एक अधिनियम द्वारा बल का नाम बदलकर सीआरपीएफ कर दिया गया।
आंध्रप्रदेश में चीन के साथ 1962 के युद्ध के दौरान भारतीय सेना को सीआरपीएफ ने सहायता प्रदान की
सीआरपीएफ भारत की सबसे बड़ी सीएपीएफ बन गई है और गृह मंत्रालय के अधीन कार्य करती है । आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, सीआरपीएफ का निर्माण 1936 में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मद्रास प्रस्ताव की पृष्ठभूमि में भारत की तत्कालीन रियासतों में राजनीतिक अशांति और आंदोलन के अनुवर्ती के रूप में किया गया था। संघ के एक सशस्त्र बल के रूप में सीआरपीएफ का गठन 1949 में संसद के एक अधिनियम द्वारा किया गया था। बल ने रियासतों के भारतीय संघ में विलय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बल ने जूनागढ़ की विद्रोही रियासतों और गुजरात में काठियावाड़ की छोटी रियासत को समझाने में सहायता की, महत्व आजादी के शुरुआती वर्षों में, पाकिस्तानी घुसपैठियों के हमले के बाद गुजरात और राजस्थान में पश्चिमी सीमा पर घुसपैठ और सीमा पार अपराध की जांच के लिए सीआरपीएफ को काम दिया गया था। आंध्रप्रदेश में चीन के साथ 1962 के युद्ध के दौरान भारतीय सेना को सीआरपीएफ ने सहायता प्रदान की थी। इस बल ने देश के पूर्वोत्तर भाग में शांति स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। बल ने 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्धों में भी सेना की सहायता की थी। सत्तर के दशक के अंत में जब त्रिपुरा और मणिपुर में आतंकवादी समूहों द्वारा शांति भंग की गई थी, तब सीआरपीएफ बटालियनों को बड़ी संख्या में तैनात किया गया था। 1965 तक, सीआरपीएफ ने भारत-पाकिस्तान सीमा की रक्षा की। इसके बाद सीमा सुरक्षा बल बनाया गया। देश में आपदाओं के दौरान या जब कोई अप्रत्याशित दुर्घटना होती है, तो सीआरपीएफ एक प्रमुख भूमिका निभाता है।