दिल्ली में नीति आयोग की बैठक में पहुंचीं ममता बनर्जी (Mamata Banerjee Niti Aayog Meeting) खफा हो गई और बैठक को बीच में छोड़कर ही बाहर निकल आईं. जब कि विपक्षी दलों से अलग रुख अपनाकर ममता बैठक में शामिल होने दिल्ली आई थीं. लेकिन अब वह नाराज नजर आ रही हैं. उनका कहना है कि आगे से वह इस बैठक में कभी भी शामिल नहीं होंगी
आरोपों पर सरकार की तरफ से प्रतिक्रिया सामने आई है. सरकारी सूत्रों के मुताबिक, यह दावा गलत है कि नीति आयोग की 9वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक में बंगाल की मुख्यमंत्री का माइक बंद कर दिया गया. उनके बोलेन का समय खत्म हो चुका था. समय खत्म होने के बाद भी बेल तक नहीं बजाई गई. उनकी बोलने की बारी लंच के बाद आती. लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार के आधिकारिक अनुरोध पर उन्हें 7वें स्पीकर के रूप में शामिल किया गया, क्योंकि उन्हें जल्दी वापस लौटना था.
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“मेरा माइक बंद कर दिया, मुझे बोलने से रोका”
ममता बनर्जी का आरोप है कि उनको 5 मिनट से ज्यादा बोलने ही नहीं दिया गया. जबकि उनसे पहले लोगों ने 10-20 मिनट तक अपनी बात रखी. लेकिन जब उनकी बारी आई तो उनको बोलने से ही रोक दिया गया. सीएम ममता बनर्जी ने कहा, “मैं बोल रही थी, मेरा माइक बंद कर दिया गया. मैंने कहा कि आपने मुझे क्यों रोका, आप भेदभाव क्यों कर रहे हैं. मैं बैठक में भाग ले रही हूं, इसके बजाय आप जो दे रहे हैं, आपको खुश होना चाहिए.आपकी पार्टी के लिए अधिक गुंजाइश, आपकी सरकार. विपक्ष से केवल मैं ही वहां हूं और आप मुझे बोलने से रोक रहे हैं…
ममता ने नीति आयोग पर बोला हमला
ममता बनर्जी ने कहा था कि जब से नीति आयोग की योजना बनी, मैंने एक भी काम होते नहीं देखा, क्योंकि उसके पास कोई शक्ति नहीं है. पहले योजना आयोग था एक मुख्यमंत्री के तौर पर…उस समय मैंने देखा कि एक व्यवस्था थी.” उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा बनाए गए नीति आयोग को खत्म कर योजना आयोग को बहाल किया जाना चाहिए.
“बैठक में फिर कभी नहीं आऊंगी”
ममता बनर्जी ने एक बार फिर से राज्यों के साथ भेदभाव का आरोप केंद्र पर लगाया है. उनका कहना है कि यह बहुत ही अपमानित करने वाला है. पश्चिम बंगाल की सीएम ने कहा है कि नीति आयोग की बैठक में वह अब कभी नहीं आएंगी. ममता बनर्जी ने कहा कि केंद्र सरकार को राज्य सरकारों के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए. मैं बोलना चाहती थी लेकिन मुझे सिर्फ 5 मिनट ही बोलने की अनुमति दी गई.