रायपुर। आंजनेय विश्वविद्यालय के सिटी कैम्पस में रविवार को तीन दिवसीय स्वर साधना कार्यशाला का समापन हुआ। समापन सत्र में विश्वविद्यालय की प्रति कुलाधिपति श्रीमती दिव्या अग्रवाल ने कहा किनृत्य और संगीत जैसी कला का गहन अध्ययन और नियमित अभ्यास कलाकार को उत्कृष्टता की ओर ले जाता है। इस प्रकार की कार्यशाला प्रतिभागियों को अपनी प्रतिभा को निखारने और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं। आप सभी ने इस कार्यशाला में जो उत्साह और समर्पण दिखाया है, वह सराहनीय है। साथ ही समापन समारोह में सभी प्रतिभागियों को उनकी सहभागिता के प्रमाण पत्र भी प्रदान किए।
read more: RAIPUR : 7 माह से वेतन नहीं मिलने पर कम्प्यूटर ऑपरेटर संघ का तीन दिवसीय धरना प्रदर्शन: खाद, बीज, ऋण वितरण सहित प्रधानमंत्री फसल बीमा का काम होगा प्रभावित
इस कार्यशाला की थीम “रिदम्स ऑफ इंडिया” रखी गई थी। तीन दिन तक चले कार्यशाला में वॉयलिन और सुर विशेषज्ञ प्रो. (डॉ.) एम. राम मूर्ति ने प्रतिभागियों को सुर और वॉयलिन के विषय में गहराई से जानकारी प्रदान की। तबला वादक गुरू बी. शरत ने तबला बजाने की कला में अपने अनुभव साझा किए। कथक नृत्य कलाकार प्रगति पटवा ने घुँघरू के महत्व एवं नृत्य की विभिन्न शैलियों के बारे में प्रतिभागियों को समझाया।कुलपति डॉ. टी. रामाराव ने बताया कि प्रत्येक विधा के लिए विषय विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों को गहन अभ्यास और प्रशिक्षण प्रदान किया। साथ ही उन्होंने आने वाले समय में ऐसी ही अन्य कार्यशाला आयोजित कराने की बात भी रखी।
कार्यशाला के समापन के दौरान डायरेक्टर जनरल डॉ. बी.सी. जैन, प्रति कुलपति सुमीत श्रीवास्तव, डीन ऑफ स्टूडेंट वेलफेयर डॉ. प्रांजलि गनी एवं कार्यक्रम की संयोजिका एवं संकायाध्यक्ष डॉ. रूपाली चौधरी उपस्थित रहीं। कार्यशाला में गायन प्रेमी और विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।