लंग कैंसर तीसरे सबसे बड़े कैंसर के रूप में अमेरिका और एशियाई देशों में फैल रहा है. अमेरिकन कैंसर सोसाइटी ने एक रिपोर्ट में कहा कि पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर और महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के बाद सबसे तेजी से लंग कैंसर के मरीज बढ़ रहे हैं.आमतौर पर कहा जाता है कि लंग कैंसर यानी फेफड़ों का कैंसर धूम्रपान यानी स्मोकिंग करने के चलते होता है. लेकिन पिछले दिनों अमेरिकन कैंसर सोसाइटी ने कहा कि स्मोकिंग ना करने वालों को भी लंग कैंसर तेजी से शिकार बना रहा है
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स्टडी में कहा गया है कि भारत, अमेरिका और एशिया के कई देशों में लंग कैंसर के ऐसे मरीज सामने आ रहे हैं जो स्मोकिंग नहीं करते और उन्होंने कभी नशे को हाथ नहीं लगाया. लंग कैंसर के नॉन स्मोकर मरीजों की ये नई थ्योरी हैरान करने वाली है. लेकिन पिछले कुछ सालों में स्मोकिंग के अलावा दूसरे कारणों पर स्टडी किए जाने के बाद पता चला कि बीड़ी सिगरेट ना पीने के बावजूद लोग फेफड़ों के कैंसर की चपेट में आ रहे हैं.अमेरिकन कैंसर सोसाइटी का कहना है कि करीब लंग कैंसर में होने वाली कुल मौतों में करीब 80 फीसदी मौतें स्मोकिंग करने वालों की होती हैं. इसके अलावा 20 परसेंट वो लोग हैं जो स्मोकिंग नहीं करते. इसका मतलब ये हुआ कि जेनेटिक और दूसरे कारणों के एक्सपोजर के चलते भी लंग कैंसर होता है।
कैंसर के कारण
इन कारणों में सेकंड हैंड स्मोकिंग (पैसिव स्मोकिंग), एयर पॉल्यूशन, खदानों में काम करना (पत्थर और कोयले की खदानों) और फैक्ट्रियों में काम करना, डीजल का एक्सपोजर, एस्बेस्टस (चट्टानों और मिट्टी में पाया जाने वाला खनिज है जो रेशेदार होता है और सांस के साथ शरीर के अंदर चला जाता है) और रेडॉन गैस का एक्सपोजर शामिल है.रेडॉन गैस की बात करें तो इस गैस के संपर्क में आने वाले नॉन स्मोकर्स भी लंग कैंसर के शिकार हो सकते हैं. एक्सपर्ट कहते हैं कि रेडॉन गैस का रंग और महक नहीं होती और इसे देखा भी नहीं जा सकता. ये गैस आमतौर पर चट्टानों, पत्थरों, रेत,मिट्टी, जलते हुए कोयले और फॉसिल फ्यूल से निकलती है और ये लंग कैंसर का कारण मानी जाती है.