रायपुर | Why kadhi not eaten in sawan: मंदिरों में ओम नमः शिवाय के मंत्रों की गूंज 22 जुलाई से शुरू हो चुकी है। पूरा सावन महीना भक्तों का पूजा पाठ में बीतेगा। इस बार सावन का महीना 29 दिनों का है और इस महीने में 5 सोमवार भी पड़ेंगे। भक्तजन अपनी श्रद्धा और भक्ति के अनुसार पूरे महीने भगवान शिव की आराधना और पूजा करेंगे।
सावन के महीने में लोग विभिन्न प्रकार की साग-सब्जियां तो खाते हैं, लेकिन ऐसा माना जाता है कि इस महीने में कढ़ी का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही कारण हैं।
धार्मिक कारण
सावन में कढ़ी नहीं खाने के पीछे धार्मिक मान्यता यह है कि इस महीने भगवान शिव को कच्चा दूध और दही अर्पित किया जाता है। ऐसे में इस पवित्र महीने में कच्चा दूध और उससे बनी हुई चीजों का सेवन वर्जित माना गया है। कढ़ी बनाने के लिए दही की आवश्यकता होती है, इसलिए सावन के महीने में कढ़ी और दूध-दही से बनी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
वैज्ञानिक कारण
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, सावन के महीने में बारिश के कारण हरी और पत्तेदार सब्जियों में कीड़े लगने का डर बना रहता है। इसके अलावा, इस समय साग-सब्जियों का सेवन करने से शरीर में पित्त बढ़ने वाले तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है, जो कई तरह की पाचन समस्याएं पैदा कर सकती है। इससे व्यक्ति बीमार और कमजोर हो सकता है।
आयुर्वेद का दृष्टिकोण
आयुर्वेद के अनुसार, सावन के महीने में दूध और दही से बनने वाली चीजों जैसे रायता और कढ़ी का सेवन स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकता है। इस समय पाचन क्रिया धीमी पड़ जाती है और कढ़ी या दही को पचाने में परेशानी हो सकती है। इससे वात दोष की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है।
इसलिए सावन के महीने में कढ़ी का सेवन न करने की सलाह दी जाती है ताकि आपका स्वास्थ्य ठीक रहे और आप बीमारियों से बचे रहें।