जाह्नवी कपूर, गुलशन देवैया स्टाटर फिल्म ‘उलझ’ ने आज सिनेमाघरों में दस्तक दे दी है। फिल्म में जाह्नवी फॉरेन अफेयर्स की डिप्लोमैट के किरदार में नजर आ रही हैं। पहली बार जाह्नवी किसी ऐसे रोल में नजर आई हैं जहां उनके लिए करने के लिए काफी कुछ था।
फिल्म की कहानी की शुरुआत होती है सुहाना भाटिया यानी कि जाह्नवी कपूर से जिसका लाइफ में सिर्फ एक मोटिव है वो है अपने परिवार की लेगेसी को आगे ले जाना और अपने पिता को गर्व महसूस कराना। सुहाना एक ऐसे परिवार से आती हैं जिसने अपनी पूरी जिंदगी देश के नाम की है। सुहाना भी कुछ वैसा ही करना चाहती हैं इसलिए उसकी जिंदगी का बस एक ही लक्ष्य है वो है फॉरेन अफेयर्स की ऑफिसर बनना।
भारत के फेमस डिप्लोमैट वनराज भाटिया की बेटी के किरदार में सुहाना भाटिया भी अपने काम और देश से बहुत प्यार करती हैं। उनके दादा यूएन में इंडिया की तरफ से रिप्रेजेंटिव रह चुके हैं इसलिए इसमें कोई शक नहीं कि सुहाना स्ट्रॉन्ग पॉलिटिकल परिवार से आती हैं। अपने काम और शार्प माइंड के चलते सुहाना छोटी उम्र में डिप्टी हाई कमिश्नर बन जाती हैं लेकिन बावजूद इसके उनके पिता को कुछ खास खुशी नहीं होती। वो चाहते हैं कि सुहाना इतना बड़ा पद मिलने के बाद कोई बेवकूफी ना करे लेकिन सुहाना का खुद पर आत्मविश्वास और काबिलियत उनके पिता के डर पर हावी हो जाता है। फिर वहां से शुरू होता है सुहाना का लंदन में सुहाना सफर या फिर यूं कहें कि यही से शुरू होती हैं सुहाना के जीवन में सारी मुश्किलें।
बड़ी पोस्ट मिलने के बाद सुहाना का ट्रांसफर लंदन में हो जाता है और वहां उन्हें पर्सनल ड्राइवर मिलता है। सुहाना का ड्राइवर सलीम खुद को हैदराबाद से बताता है और कहता है कि वो उनका ख्याल रखेगा। हर छोटी से बड़ी मुसीबत में वो सुहाना को मदद करने का वादा करता है। एक समय के बाद फिल्म ही कहानी बहुत ही प्रेडिक्टेबल बन जाती है। जब सुहाना के चेहरे पर थोड़ा सा भी डर दिखता है को सलीम उसे तुरंत मदद करने का ऑफर देता है। यहीं से लगता है कि दाल में कुछ काला तो जरूर है।
ये सोचकर आपका दिमाग खराब हो सकता है कि लदंन में इंडियन एंबेसी की डिप्लोमैट सुहाना भाटिया जो दिमाग से इतनी शार्प है वो वहां मिले एक शख्स जो अपना नाम नकुल बताता है उसे अपना दिल कैसे दे बैठती है। एक अनजान देश में जहां सुहाना किसी को नहीं जानती वो एक शख्स से प्यार कर बैठती हैं। फिर उसके साथ घूमना-फिरना और रात बिताना। बस यही काम एक डिप्लोमैट तो नहीं करेगा कि बिना किसी बैकग्राउंड वेरिफिकेशन के वो किसी के इतना करीब चला जाए। इसके बाद नकुल उसे ब्लैकमेल करने लगता है और अपने करियर को दांव पर लगा देख सुहाना एक के बाद एक गलतियां करती ही रह जाती हैं और बुरी तरह से दूसरों के बिछाए जाल में फंसकर रह जाती हैं। इसके बाद सुहाना कैसे उस जाल से खुद को बाहर निकालती हैं ये जानने के लिए आपको फिल्म देखने जाना होगा।
बात डायरेक्शन की
फिल्म का निर्देशन किया है सुधांशु सरिया ने जिन्होंने साल 2023 में आई फिल्म ‘सना’ का भी निर्देशन किया था। फिल्म का फर्स्ट हाफ तो आपके सिर के ऊपर से ही चला जाएगा। समझ ही नहीं आएगा कि फिल्म में आखिर चल क्या रहा है। किरदार इतने उलझे हुए लगेंगे कि ऐसा लगेगा कि फिल्म जल्दी से खत्म हो और आप थिएटर से बाहर निकल पाएं। फिल्म की शुरुआत ही इतनी बोरिंग होती है कि लगता है कि आगे फिल्म को ना ही देखा जाए। हालांकि डायरेक्टर ने सेकंड हाफ में फिल्म को अच्छे से दिखाया है। दर्शकों को थिएटर में बांधे रखना का काम फिल्म के कुछ आखिरी सीन्स करते हैं। जहां एक के बाद रहस्यों का खुलासा होता है और फिल्म का असली मोटिव पता चलता है। फिल्म के आखिर में डायरेक्टर ने ये भी हिंट दे दिया है कि फिल्म का सेकंड पार्ट भी बन सकता है।