हिन्दू धर्म में सावन महीने को बहुत ही पवित्र माना गया है और इस महीने में आने वाले सभी व्रत और त्योहारों का महत्व भी बताया गया है. यह भगवान शिव का प्रिय महीना भी है, इसलिए इस पूरे महीने उनसे जुड़े कई पर्व और व्रत भी आते हैं. भोलेनाथ के गले के श्रृंगार कहे जाने वाले नाग देवता की पूजा भी इसी महीने में होती है. इसे नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है और सिर्फ भारत ही नहीं नेपाल और हिंदू आबादी वाले अन्य दक्षिण एशियाई देशों में लोग इस पर्व को मनाते हैं.
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नाग पंचमी का त्योहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचम तिथि को मनाया जाता है और इस तिथि का आरंभ 9 अगस्त की मध्य रात्रि 12 बजकर 36 मिनट से होगा और इसका समापन 10 अगस्त सुबह 03 बजकर 14 मिनट पर होगा. पूजा का मुहूर्त सुबह 05 बजकर 47 मिनट से 08 बजकर 27 मिनट के बीच है.
नाग पंचमी का महत्व
यह दिन नाग देवता के लिए समर्पित है. पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत में राजा जनमेय ने अपने पिता का बदला लेने के लिए एक यज्ञ का आरंभ किया था. ये यज्ञ सांपों के अस्तित्व को मिटाने के लिए किया गया था. इस दौरान ऋषि आस्तिक ने इस यज्ञ को रोका और सांपों को बचाया. यह दिन सावन की शुक्ल पक्ष की पंचमी का दिन था और तब से ही नाग पंचमी के रूप में इसे मनाया जाने लगा.इस दिन लोग मंदिर जाते हैं और नाग देवता की पूजा करते हैं. उन्हें दूध, चावल, फूल और मिठाई आदि अर्पित करते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस पूजा से नागदेव के साथ भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैं और सुख समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.
विधि से करें पूजा
– नाग पंचमी के दिन सूर्योदय से पहले उठें और स्नानादि से निवृत्त हो जाएं.
– इसके बाद साफ कपड़े पहनें और भगवान के मंदिर की सफाई करें.
– आप शिवालय जाकर या घर में भी भगवान शिव और नगादेवता की पूजा कर सकते हैं.
– पूजा में फल, फूल, मिठाई और दूध अर्पित करें.
– आरती करने के बाद भगवान को भोग लगाएं.