रायपुर। GRAND NEWS : छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर बड़े-बड़े उद्योगों के लिए मशहूर है, जहां बड़े प्लांट की आसमान को छूती हुई चिमनिया प्रतिदिन ऐसे जहरीली गैसों का रिसाव करती है जो आम जनता के लिए काफी दुखदाई है। इसी कड़ी में उरला में स्थित बजरंग पावर स्पात संयंत्र जो कि शुरू से विवादों में रहा है, जिनके प्रबंधक सुरेश गोयल है, जहां उनके गैर कानूनी रूप चल रहे उद्योग का पर्दाफास करने ग्रैंड न्यूज की टीम ने रात को बजरंग पावर इस्पात में दस्तक दी, और स्टिंग ऑपरेशन कर उनकी पोल खोल दी है।
बजरंग पावर इस्पात दिखाने के लिए जो उत्पादन कर रही है, वह सरकार और आम नागरिकों की आंखो में धूल झोंक रही है, आम तौर पर कारखानों से निकलने वाले धुएं को दिन में ईएसपी चालू रखा जाता है, वहीं जैसे ही रात की काली घटा छा जाती है, वैसे ही उनके काले कारनामे उजागर होते दिखाई देते है, रात के समय ईएसपी को बंद कर दिया जाता है, जिससे उन्हें बिजली की बचत होती है और उद्योग का धुंआ निर्धारित मानक से अधिक नुकसान पहुंचाता है, इसका असर आम जनता के स्वास्थ्य पर पड़ता है। चिमनी से निकलने वाला धुंआ वहां आसपास के गांवों के लोगों के लिए आफत बन गया है। आलम यह है कि शाम होते ही ग्रामीणों को न केवल जल्द ही अपने घर के दरवाजे बंद करने पड़ते हैं, बल्कि पशुओं के चारे को कपड़ों से ढक कर रखना पड़ता है। यह धुआं आम धुआं नहीं है, इसकी जद में आने वाला प्रत्येक व्यक्ति को गंभीर बीमारी हो सकती है और हो भी रही है। बजरंग पावर इस्पात के मालिक सुरेश गोयल सरकार की आँखों में धूल झोंक कर यह सभी काले कारनामे कर रहे हैं। वहीं जब हमारी टीम ने बजरंग पावर इस्पात की तफ्तीश की तो यहां और भी बहुत सारे ऐसे काम है जो रात के समय बजरंग पावर इस्पात किए जाते हैं, कारखाने से निकलने वाले तमाम गंदगियों को पानी में बहाया जाता है और यह पानी जाकर नाले में मिलता है और नाले से निकलने वाले पानी शहर के बस्तियां और गांव में जाकर मिलता है, लिहाजा इससे ग्रामीणों को काफी नुकसान हो रहा है।
सरकार को इस बड़े मुद्दे पर विचार करना चाहिए कि कैसे इतने बड़े उद्योगपतियों के बड़े बड़े प्लांट सालों से आम जनता की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे है, आखिर इसकी इजाजत सरकार इन्हे कैसे दे सकती है, सत्ता परिवर्तन के बाद से सरकार को यह भी सोचना चाहिए कि इन पर कैसे लगाम लगाया जा सके, कैसे कार्रवाई की जा सके, क्षमता से अधिक नुकसान पहुंचाने वाले प्लांट पर तत्काल रोक लगनी चाहिए, साथ ही उनका चिमनियों से निकलने वाला धुंआ कितने प्रतिशत निकल रहा है, मानक क्षमता कितनी है और उस चिमनी से निकलने वाले धुएं से कहां-कहां प्रभावित हो रहा है, इसकी जाँच होनी चाहिए। लेकिन यहां ना तो कोई पुलिस या प्रशासन के कर्मचारियों द्वारा वहां गस्त लगाया जाता है, ना ही किसी प्रकार की कोई रोक-टोक की जा रही है। सुरेश गोयल मनमाने तरीके से अपने इस मौत के काम को अंजाम दे रहे हैं, उसके बाद भी सरकार मौन है, आखिर ऐसा क्यों यह सवाल खड़ा होता है, सवाल सरकार के लिए भी है कि अभी तक इसपर कार्यवाही क्यों नहीं की गई।
दिखाने के लिए यह कहा जाता है कि कारखाने में कई लोगों का घर परिवार चलता है लेकिन सच्चाई यह भी है कि यहां काम कर रहे हैं मजदूरों को अगर कुछ नुकसान होता है तो उसकी भरपाई यहां के उद्योगपति नहीं करते हैं, यह तमाम चीज हैं जिस पर अब प्रशासन को विचार करना चाहिए कि कैसे रात के समय कई सारे ट्रक बाहर खड़े रहते हैं, इनका कोई हिसाब किताब नहीं है, मनमानी तरीके से यह सभी कारनामे चल रहे हैं। क्या यह भी हो सकता है कि प्लांट के प्रबंधक सुरेश गोयल सरकार के अधीन काम कर रहे हैं, यह सरकार से कोई साठ घाट है ? या कोई मिलीभगत है ? जिसके कारण सरकार उन पर कोई हस्तक्षेप नहीं कर रही है। अब यह कार्रवाई का विषय है, अब देखना होगा कि सरकार इस पर क्या कार्रवाई करती है क्या रोक लगाती है।
सरकार को अपनी जेब में रखने का दावा करते है सुरेश गोयल
गैरतलब है कि राजधानी में बढ़ते प्रदूषण पर रोक लगाने सालों पूर्व उरला सिलतरा क्षेत्र में नया औद्योगिक नगर बसाया गया था, जहां शहर के सभी छोटे-बड़े प्लांट स्थानांतरित कर दिए गए थे। इसके बाद भी शहर में प्रदूषण कम नहीं हुआ है। इस पर सरकार ने सभी प्लांट मालिकों को फैक्ट्री में ESP लगाना अनिवार्य कर दिया, जिसे फैक्ट्री संचालकों ने लगाया भी परंतु उन्होंने देखा कि इससे उनकी बिजली खपत बढ़ गई है। इसके बाद उन्होंने ESP को बंद करना शुरू कर दिया। आमतौर पर ज्यादातर प्लांट में रात को ESP बंद कर दिया जाता है और दिन भर चालू रखा जाता है, ESP बंद होने के बाद प्लांट की चिमनियों से निकलने वाला काला धुआं आम जनता के लिए जानलेवा साबित होता है। बजरंग टावर इस्पात में भी इसी तरह नियमों के विपरीत प्रदूषण फैलाकर लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। जिस पर कार्रवाई की हिम्मत विभागीय अधिकारी इसलिए नहीं जुटा पा रहे हैं क्योंकि इसका मालिक सुरेश गोयल है, जो पूरी सरकार को अपनी जेब में रखने का दावा करते हुए अधिकारियों को कार्रवाई करने की स्थिति में अंजाम भुगतने की चेतावनी देते हैं। विष्णु के सुशासन में ऐसी मौत के सौदागरों पर अंकुश लगाने की जरूरत है।