रायपुर। GRAND NEWS : छत्तीसगढ़ के उद्योगपति सुरेश गोयल को कौन नहीं जानता, दुनिया उन्हें एक समाजसेवी के नाम से भी जानती है। अनेकों उद्योग, अनेकों चैरिटी, ट्रस्ट हॉस्पिटल, स्कूल उन्होंने बनाए हुए हैं, जिसके चलते उनकी राजनीतिक पकड़ काफी अच्छी है, व्यवसाय और न्यूज़ चैनल की आड़ में उनकी धौंस भी किसी से छिपी नहीं है। इतने बड़े उद्योगपति के गलत कार्यों का उजागर कोई नहीं करता, लेकिन ग्रैंड न्यूज़ लगातार उनके और उनके प्लांट्स की पोल खोल रहा है, आज हम आपको उनके काले कारनामों की सच्चाई से रूबरू कराएंगे, समाजसेवी का मुखौटा पहने हुए सुरेश गोयल दअरसल उसकी असली सच्चाई क्या है जानिए।
ग्रामीणों की जमीन हड़प कर बनाया कारखाना
तिल्दा से लगे टंडवा ग्राम पंचायत में बजरंग पावर इस्पात का एक बड़ा कारखाना स्थित है, जहां लौह अयस्क संबंधित उत्पादन किया जाता है और इतने बड़े प्लांट को स्थापित करने के लिए कई एकड़ जमीन की आवश्यकता होती है। बात 2012 की है जब गांव के ग्रामीण किसानों को डरा धमकाकर उनकी जमीनों को हथियाया गया, तो किसी को कुछ रूपयो का लालच देकर जमीन हड़प ली गई। इसके विरोध में ग्रामीण अपनी फरियाद लेकर तत्कालीन रायपुर कलेक्टर के पास भी पहुंचे, लेकिन कलेक्टर के पास जाकर भी उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ, बल्कि प्रत्येक किसानों से चार से 10 एकड़ तक की जमीनों को बजरंग प्लांट द्वारा खरीदा गया। वह भी ₹5,00,000 के प्रति एकड़ के हिसाब से और आज के समय उस जमीन की वैल्यू करोड़ों में है।
जमीन के बदले करता आ रहा ठगी
वहां के ग्रामीण यह भी बताते हैं कि कैसे उनके मैनेजर द्वारा उन्हें झूठ बोला गया कि जमीन के बदले में उन्हें उनके बच्चों को नौकरी देंगे, लेकिन आज तक नौकरी के नाम पर ठगी के सिवाय उन्हें कुछ नहीं मिला। किसानों का यह भी कहना है कि सुरेश गोयल की दहशत की वजह से कोई भी कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं है, वहां के जनप्रतिनिधियों द्वारा भी सुरेश गोयल से साठ-गाँठ अच्छे है, जिसके कारण कोई भी उसके खिलाफ कुछ भी बोलने से डरता है। लेकिन ग्रैंड न्यूज़ की टीम ने ग्राम पंचायत टंडवा में जाकर एक बार फिर बजरंग पावर प्लांट के मालिक सुरेश गोयल की पोल खोल दी और उसे बेनकाब कर दिया।।
सरकारी जमीन पर किया था कब्ज़ा
फैक्ट्री में काम करने के लिए सरकारी जमीन पर सभी वर्कर के लिए घर बनाए गए, ताकि कंपनी में कार्यरत कर्मचारी अपना रोजी-रोटी वहीं रह कर कमा सके। लेकिन बात यहां पर सरकारी जमीन की है, जो प्लांट के मुख्य गेट पर है, लेकिन वहां पर भी सुरेश गोयल की मनमानी देखी गई। 2 साल पहले उस जमीन उसने जमीन को कब्जा करने के लिए बाउंड्री वाल बना दिया था, जो की गैर कानूनी है, तभी ग्राम पंचायत के लोगों ने उसका विरोध भी किया और तहसील कार्यालय का भी घेराव किया, जिसके बाद कार्रवाई होने पर उसे बाउंड्री वाल को तोड़ा गया। गांव वालों का यह भी कहना है कि बड़े मुश्किल से हमने जमीन को बचाया है।
4 महीने पहले हुई मजदुर की मौत
श्री बजरंग पॉवर इस्पात में बीते चार महीने पहले एक मजदूर 20 वर्षीय मजदुर की दर्दनाक मौत हो गई है। मजदुर पर किलन की जाली गिर गई थी, जिससे मजदूर की मौके पर मौत हो गई थी। बताया जा रहा है मृतक चिंतामणि यदु के परिवार में विधवा मां, 2 छोटी बहन और 1 छोटा भाई, पिता की पहले हो चुकी है मृत्यु, परिवार का अकेला कमाने वाला था। कम्पनी प्रबंधन मामले को दबाने का कर प्रयास करती रही, वहीं ग्रामीणों ने प्रबंधन के खिलाफ उचित मुआवजे के लिए उग्र- आंदोलन भी किया था। लेकिन फिर भी परिजनों के मुताबिक मुआवजा नहीं दिया गया, और पुरे मामले को सुरेश गोयल ने अपना रौब दिखाकर दबा दिया। लगातार हादसों से श्री बजरंग पॉवर इस्पात मौत का कुआं बना हुआ है, हर साल नौजवान मजदूरों की यहां बलि चढ़ती हैं। यहां सुरक्षा व्यवस्था भी लचर है, जिसका खामियाजा गरीब मजदुर को भुगतना पड़ता है। वहीँ ऐसे ही कई मामले प्लांट से बाहर आने से पहले ही दबा दिए जाते है, लेकिन अब ग्रैंड न्यूज़ लगातार सुरेश गोयल के काले कारनामों पर अपनी नजर गड़ाए हुए है।
ग्रामीण परेशान, प्रशासन अनजान
इतना ही नहीं ग्राम पंचायत की जमीनों को भी बड़े क्षेत्र के तहत कब्जे में लिया गया है, हालांकि उस जमीन को गोयल द्वारा खरीदा गया है, लेकिन पंचायत द्वारा अभी भी उन्हें NOC नहीं मिला है, इसका क्या कारण हो सकता है ? वह सरपंच और प्लांट के मालिक के बीच की बात है, लेकिन लोगों का यह भी कहना है कि ग्राम पंचायत के सरपंच को एक बड़ी मोटी रकम भी चाहिए थी, जिसके कारण उनमें और प्लांट के मालिक में अनबन हुई थी, यही वजह है कि अभी तक पंचायत से उन्हें NOC नहीं मिला है। दरअसल बात यह नहीं कि इस प्लांट में अनेकों कर्मचारी काम करते हैं, जिनकी रोजी-रोटी चलती है, लेकिन अगर प्लांट के अधिकारी प्रबंधक अध्यक्ष द्वारा इन सभी कार्यों को किया जाता है, तो यह किस हद तक सही है, प्रशासन क्यों चुप क्यों बैठी हुई है, क्यों करवाई नहीं कर रही, क्या प्रशासन और सुरेश गोयल के बीच भी कोई साठ गांठ है ? यह भी कहा जाता है कि दिन में फैक्ट्री में उतना धुआं नहीं निकलता है, लेकिन जैसे ही शाम होती है तो यहां पर खड़े रहना भी मुश्किल हो जाता है, पूरा एरिया काले राख के गुब्बार से भर जाता है, जिसके कारण ग्रामीणों को अनेक प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ता है। वहीं यह भी खबर है कि सुरेश गोयल ने बजरंग पावर स्पाट कंपनी के में गेट में बजरंग पावर इस्पात का नाम भी हटवा कर ऊपर से पेंट करवा दिया है। अब सुरेश गोयल के इस कारनामे ने कई सवाल खड़े कर दिए है, आखिर सुरेश को अपने उद्योग का नाम क्यों छिपाना पड़ रहा है। वहीं सुरेश गोयल की वजह से पूरा गाँव हताश है लेकिन उसके डर से कोई भी अपनी समस्या सामने लाने से घबराते है, कई जनप्रतिनिधियों से सुरेश गोयल की अच्छी मिली भगत है, वह अपने पैसों और राजनितिक संरक्षण की आड़ में अनेक अवैध कार्य कर रहा है। जिसे ग्रैंड न्यूज़ प्रमुखता से प्रशासन के समझ रखता आ रहा है, अब देखना यह होगा की भाजपा की विष्णु देव सरकार और उद्योग मंत्री सुरेश गोयल के काले कारनामों पर किस तरह लगाम लगाते है।
कंपनी में 9 निदेशक और 3 प्रमुख प्रबंधन कर्मचारी हैं
वर्तमान में बोर्ड में सबसे लंबे समय तक सेवारत निदेशक राजेंद्र गोयल हैं, जिन्हें 25 अगस्त, 2002 को नियुक्त किया गया था। राजेंद्र गोयल 21 वर्षों से अधिक समय से बोर्ड में हैं। सबसे हाल ही में नियुक्त निदेशक जयता प्रकाश अग्रवाल हैं, जिन्हें 13 मई, 2021 को नियुक्त किया गया था।
नरेंद्र गोयल के पास सबसे ज़्यादा अन्य निदेशक पद हैं, जिनकी कुल 11 कंपनियों में सीट है। कुल मिलाकर, कंपनी अपने निदेशकों के ज़रिए 18 अन्य कंपनियों से जुड़ी हुई है।