जनमाष्टमी, भगवान कृष्ण के जन्मदिन का उत्सव है, जिसे भाद्रपद माह की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इसे लेकर कुछ विशेष बातें हैं:
क्या करना है:
1. व्रत और उपवासी रहना : दिनभर उपवासी रहकर रात्रि को कृष्ण के जन्म के समय पूजा और भोग अर्पित करें।
2. भजन और कीर्तन : कृष्ण के भजनों और कीर्तनों का आयोजन करें। मंदिर या घर में भजन मंडली का आयोजन भी करें।
3. रात को आरती : कृष्ण के जन्म के समय आरती करें और उन्हें भोग अर्पित करें।
4. दही हांडी : कुछ जगह पर “दही हांडी” का आयोजन होता है, जिसमें लोग दही भरी मटकी को तोड़ने की कोशिश करते हैं।
5. कृष्ण जन्म की कथा : कृष्ण के जन्म की कथा सुनें और सुनाएं, जिससे उनकी लीलाओं का ज्ञान होता है।
क्या नहीं करना है:
1. मांस और शराब से परहेज : इस दिन मांसाहारी भोजन और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।
2. शारीरिक श्रम और तामसिक काम : अधिक शारीरिक श्रम से बचें और तामसिक कामों से दूर रहें।
3. अन्य देवताओं की पूजा : इस दिन विशेष रूप से कृष्ण की पूजा करें और अन्य देवताओं की पूजा न करें।
4. गपशप और झगड़े : दिन को शांति और भक्ति के साथ मनाएं, गपशप और झगड़ों से दूर रहें।
जनमाष्टमी के दिन इन नियमों का पालन कर, आप भगवान कृष्ण की भक्ति और आनंद का अनुभव कर सकते हैं।
जनमाष्टमी के दिन भगवान कृष्ण की पूजा विशेष धूमधाम से की जाती है। यहाँ पूजा की प्रक्रिया के कुछ प्रमुख चरण दिए गए हैं:
पूजा की प्रक्रिया:
1. स्नान और शुद्धता :
– पूजा करने से पहले अपने शरीर और मन को शुद्ध करें। स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
2. मंडप सजाना :
– घर या मंदिर में पूजा स्थल को अच्छे से सजाएं। रंग-बिरंगे फूल, दीपक और रंगोली से सजावट करें।
3. भगवान कृष्ण की मूर्ति या चित्र की स्थापना :
– पूजा के स्थान पर भगवान कृष्ण की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें। अगर मूर्ति नहीं है, तो चित्र भी रख सकते हैं।
4. पंचामृत स्नान :
– कृष्ण की मूर्ति को पंचामृत (दही, दूध, घी, शहद, और शक्कर) से स्नान कराएं। फिर, स्वच्छ पानी से धोएं।
5. विधिपूर्वक अभिषेक :
– कृष्ण की मूर्ति पर फूल, चावल, फल, और मिठाइयाँ अर्पित करें। विशेष रूप से तुलसी के पत्ते, श्रीफल (नारियल) भी अर्पित करें।
6. दीपक और अगरबत्ती :
– दीपक जलाएं और अगरबत्ती लगाएं। इस दौरान कृष्ण के भजनों या कीर्तन का आयोजन करें।
7. आरती और पूजा :
– भगवान कृष्ण की आरती करें और उनके सामने भोग (खाना) अर्पित करें। आरती के दौरान दीपक को घुमाएं और उसके सामने हाथ जोड़कर भगवान का ध्यान करें।
8. भजन और कीर्तन :
– कृष्ण के भजनों और कीर्तन का आयोजन करें। इस दौरान घरवालों और भक्तों को भी शामिल करें।
9. कथा सुनना :
– भगवान कृष्ण के जन्म की कथा सुनाएं या सुनें। कथा के माध्यम से कृष्ण की लीलाओं और उपदेशों को जानना महत्वपूर्ण होता है।
10. प्रसाद वितरण :
– पूजा के बाद, अर्पित किए गए भोग (प्रसाद) को घरवालों और भक्तों में वितरित करें।
11. संगीत और नृत्य :
– कुछ जगहों पर, कृष्ण के जन्म के समय झूला झूलाने की प्रथा भी होती है। इसमें कृष्ण की मूर्ति को झूला झुलाया जाता है और भक्त गाते-नाचते हैं।
विशेष ध्यान:
– रात्री का समय : जनमाष्टमी की पूजा विशेष रूप से रात को की जाती है, जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। यह समय अति महत्वपूर्ण होता है।
– उपवासी रहना : बहुत से लोग इस दिन उपवासी रहते हैं और केवल फल-फूल या हल्का भोजन करते हैं।
– आत्मा की शांति : पूजा के दौरान मन को शांत और एकाग्र रखें। भगवान कृष्ण की भक्ति और ध्यान में लीन रहें।
इस प्रकार, जनमाष्टमी के दिन भगवान कृष्ण की पूजा को एक विशेष धार्मिक और भक्ति भाव से मनाना चाहिए।