कोलकाता रेप मर्डर मामले में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में पीठ मामले की सुनवाई कर रही है. पीठ डॉक्टरों को काम पर लौटने का निर्देश दे रही है. देशभर के रेजीडेंट डॉक्टर पिछले कई दिनों से हड़ताल पर हैं, जिससे लाखों लोगों को परेशानी हो रही है. साथ ही कोर्ट ने ममता सरकार, आर जी कर हॉस्पिटल और पश्चिम बंगाल पुलिस के रवैये पर भी कई सवाल उठाए.
सूत्रों के अनुसार, सीबीआई टीम अब मौत के समय अस्पताल में मौजूद साक्ष्यों और आरोपी के बयान की तफ्तीश कर रही है। सीबीआई सूत्रों ने कहा कि संजय रॉय पीड़ित डॉक्टर की लंबे समय से रेकी कर रहा था। वारदात वाले दिन भी वह सुबह से रात तक ट्रेनी डॉक्टर पर नजर रखता रहा और 9 अक्तूबर को उसने वारदात को अंजाम दे दिया। मगर जांच के दौरान अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि क्या उसने किसी के इशारे पर डॉक्टर की हत्या की या यह उसकी गंदी आदतों का नतीजा था।सीबीआई सूत्रों ने कहा कि आरजी कर से मिले सीसीटीवी फुटेज में आरोपी संजय रॉय कई बार अस्पताल के अंदर नजर आया। इस दौरान वह ट्रेनी डॉक्टर के इर्द-गिर्द भी मंडराता रहा। सबसे पहले 8 अगस्त की सुबह 11 बजे चेस्ट डिपार्टमेंट के वॉर्ड में पहुंचा, जहां ट्रेनी डॉक्टर चार अन्य जूनियर सहयोगी के साथ मौजूद थी। वहां पहुंचने के बाद संजय लेडी डॉक्टर को घूरता रहा। जांच अधिकारियों के मुताबिक, आरोपी को ट्रेनी डॉक्टर के शेड्यूल के बारे में पूरी जानकारी थी।
सुबह चार बजे भी हॉस्पिटल में नजर आया था आरोपी
सीबीआई के अनुसार, पीड़िता अन्य जूनियर डॉक्टरों के साथ डिनर के लिए वॉर्ड से निकली और 9 अगस्त को रात 1 बजे के बाद सेमिनार हॉल में लौट आई। एक जूनियर डॉक्टर करीब 2:30 बजे सेमीनार हॉल में दाखिल हुआ। ट्रेनी डॉक्टर ने उससे कुछ बात की। फिर माना जा रहा है कि पीड़िता सेमीनार हॉल में सो गई। सीसीटीवी फुटेज में संजय रॉय 9 अगस्त की सुबह 4 बजे हॉस्पिटल में घुसता दिखा। इसके बाद वह थर्ड फ्लोर के सेमीनार हॉल में पहुंचा, जहां ट्रेनी डॉक्टर सो रही थी। आशंका जताई जा रही है कि तड़के उसने लेडी डॉक्टर को निशाना बनाया और रेप के बाद उसकी हत्या कर दी।
बंगाल पुलिस को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई कड़ी फटकार
बता दें कि सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को स्टेटस रिपोर्ट पेश किया, जिसमें बताया गया है कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज में वारदात के बाद क्राइम सीन से छेड़छाड़ की कोशिश की गई। इस केस में हॉस्पिटल प्रबंधन की लापरवाही भी सामने आई है, जिसने पीड़िता के पिता को फोन कर बताया कि उनकी बेटी ने आत्महत्या कर ली है। सीबीआई की रिपोर्ट में पुलिस की जांच पर भी सवाल उठाए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुलिस की जांच करने का तरीका सही नहीं था। पुलिस की प्रक्रिया क्रिमिनल प्रोसिजिंग से अलग है। बंगाल पुलिस का व्यवहार शर्मनाक है। वारदात वाली जगह पर अहम सुराग थे, जिसे बचाने में देरी की गई। हैरानी की बात यह है कि इस में एफआईआर पोस्टमॉर्टम के बाद दर्ज की गई। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि 30 साल में ऐसी लापरवाही नहीं देखी।