सतीश साहू,जगदलपुर। बस्तर संभाग मुख्यालय जगदलपुर स्थित श्रीबालाजी मंदिर में बुधवार से 3 दिवसीय पवित्रोत्सव पूजा विधान संपन्न होगा। वैष्णव संप्रदाय के मंदिरों में होने वाले भगवान की नित्य सेवा के दौरान जाने अनजाने में जितनी भी त्रुटियां रह जाती हैं उनके शुद्धीकरण के लिए पवित्रोत्सव या यज्ञोत्सव किया जाता है। मान्यता है कि पवित्रोत्सव के दौरान रोज़ सुबह और शाम यज्ञ सम्पन्न किया जाता है। इस उत्सव में साल भर भगवान की सेवा में हुई त्रुटियों और अशुद्धियों के शुद्धिकरण के लिए दिव्य प्रबंध पाठ व वेद परायण,विष्णु सहस्रनाम पाठ के साथ यज्ञ किया जाता है। इसी क्रम में 28, 29 और 30 अगस्त को श्री बालाजी मन्दिर में 3 दिवसीय पवित्रोत्सव विधान विद्वान पंडितों के सानिध्य में संपन्न होगा।
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दैवज्ञ पंडितों के वैदिक मंत्रोच्चारण के मध्य नित्य आराधना, रक्षासूत्र बंधनम् के साथ बुधवार को पवित्रोत्सव पूजा प्रारंभ होगा। 29 अगस्त, गुरुवार को सुदर्शन होम किया जायेगा। श्री बालाजी टेंपल कमेटी दि बस्तर डिस्ट्रिक्ट आंध्र एसोसिएशन ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने बताया कि हवन कुंड में हवन संपन्न होगा। इसी क्रम में शुक्रवार, 30 अगस्त को चाँदी के कलशों में भरे दिव्य द्रव्य से मंदिर और देव प्रतिमाओं का महा कुंभाभिषेक किया जायेगा। 30 अगस्त को ही दोपहर में महाभोग प्रसाद वितरण किया जायेगा। ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने भक्तों से बड़ी संख्या में पूजा विधान में उपस्थित रहने का आव्हान किया है। पत्रवार्ता के दौरान आंध्र समाज के अध्यक्ष एम जयंत नायडू, टेंपल ट्रस्ट के चेयरमैन ए वीरराजू, उपाध्यक्ष रविभूषण राव, आंध्र समाज के सचिव सुब्बाराव उपस्थित रहे।
हवन में प्रयोग की जायेगी यह सामग्री
पवित्रोत्सव के दौरान हवन में विभिन्न जड़ी बूटियों के साथ साथ जौ, गेंहू,तिल, धान, पुष्प , चन्दन काष्ठ, अगर समिधा , पलास, पीपल, बेल, शमी ( छौंकर) , अंगा, खील, गौघृत आदि का प्रयोग किया जाता है । पवित्रोत्सव के दौरान भगवान किसी प्रकार का आभूषण नहीं धारण करते । हवन के दौरान द्वादशाक्षर मंत्र का जाप होता है। वेदपाठी आचार्य दिव्य प्रबंध पाठ व वेद का परायण करते है।