CG POLLUTION : पिछले साल की तुलना में दुर्ग- भिलाई शहर की हवा साफ हुई है, जबकि रायपुर में प्रदूषण बढ़ा है। पिछले साल दुर्ग-भिलाई शहर के चार इलाकों की हवा दूषित होने से स्थिति बिगड़ रही थी। वहां इस साल स्थिति सुधर गई है।
दरअसल, पिछले दिनों स्टेट लेवल मॉनिटरिंग एवं इंप्लीमेंटेशन कमिटी की समीक्षा बैठक से निकलकर आई। इसमें एनसीएपी (नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम) में शामिल शहरों को लेकर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट पर भी चर्चा हुई। इसके बाद दैनिक भास्कर ने इस रिपोर्ट की पड़ताल की। पड़ताल में पता लगा कि भिलाई के चार केंद्र रीजनल ऑफिस सीईसीबी, बोकारो हॉस्टल सेक्टर 4 भिलाई, सीएसआईडीसी बोरई, लघु उद्योग निगम को एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग के लिए स्टेशन बनाया गया है। पिछले साल 10 नवंबर से 14 नवंबर के बीच इन केंद्रों की रिपोर्ट मॉडरेट थी। यानी यहां पीएम10 की मात्रा 100 से 200 के बीच थी। हालांकि, अब यहां पीएम10 की मात्रा 66 माइक्रोग्राम/क्यूबिक मीटर है। दरअसल, वाहन बढ़ने और शहरी इलाकों में निर्माण कार्य के कारण वायु की गुणवत्ता प्रभावित हुई।
अब पिछले साल की तुलना में शहर में पीएम 10 की मात्रा 1 माइक्रोग्राम/ क्यूबिक मीटर कम हो गया है। भिलाई शहर में फिलहाल, यहां पीएम 10 की मात्रा 66 माइक्रोग्राम/ क्यूबिक मीटर है। जो पहले 67 माइक्रोग्राम/ क्यूबिक मीटर था। यानी अब भी मानक से 6 माइक्रोग्राम/ क्यूबिक मीटर ज्यादा है।
निर्माण कार्यों के कारण रायपुर में प्रदूषण बढ़ा
पिछले साल की तुलना में रायपुर शहर में प्रदूषण 5 माइक्रोग्राम/क्यूबिक मीटर ज्यादा है। प्रदूषण बढ़ने का प्रमुख कारण शहरी क्षेत्र में 24 घंटे चलने वाले जल आर्वधन, अंडरग्राउंड इलेक्ट्रिक केबलिंग और सड़क निर्माण जैसे काम हैं। इसके अलावा शहर में हॉट स्पॉट, औद्योगिक ईकाई और वाहनों के पंजीकरण में बढ़ोत्तरी के कारण भी प्रदूषण बढ़ा है। दरअसल, नगर निगम रायपुर में पीएम10 की मात्रा पिछले साल की तुलना में 5 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर ज्यादा है। फिलहाल, रायपुर में पीएम 10 की मात्रा 75 माइक्रोग्राम/ क्यूबिक मीटर है, जो मानक से 15 माइक्रोग्राम/ क्यूबिक मीटर ज्यादा है। बता दें कि वायु गुणवत्ता मानक 60 माइक्रोग्राम माइक्रोग्राम/ क्यूबिक मीटर है।
केंद्र से मिली राशि पूरी खर्च नहीं हुई
एनसीएपी (नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम) में राज्य के तीन शहर दुर्ग- भिलाई, रायपुर और काेरबा शामिल हैं। पिछले पांच साल में केंद्र से एनसीएपी मद में इन शहरों को 16.69 करोड़ रुपए मिले, जिसमें से कुल 13.41 करोड़ रुपए ही खर्च हुए हैं। यानी 20 फीसदी राशि खर्च नहीं हुई। इस मद में रायपुर, दुर्ग- भिलाई और कोरबा को क्रमश: 6- 6 करोड़ और 4.69 करोड़ रुपए मिले। रायपुर और दुर्ग भिलाई ने क्रमश: 94 प्रतिशत और 95 प्रतिशत फंड खर्च की, जबकि कोरबा ने केवल 45 प्रतिशत राशि ही खर्च की।
कोरबा की सेल्फ असेसमेंट रिपोर्ट सबसे बेहतर
नगर निगम रायपुर, भिलाई और कोरबा द्वारा स्वच्छ वायु सर्वेक्षण के लिए सेल्फ असेसमेंट किया गया। इसमें कोरबा का स्कोर तीनों निकायों में सबसे बेहतर रहा। 200 अंक में से सर्वाधिक 182.5 स्कोर कोरबा का है, जबकि रायपुर का स्कोर 177.5 और भिलाई का 156.1 है।
15वें वित्त से मिले पैसे का 57 % ही उपयोग
15वें वित्त आयोग ने प्रदूषण कम करने के लिए 2020-21 से 2022-23 के बीच रायपुर और दुर्ग- भिलाई को 231.70 करोड़ रुपए दिए। इसमें से केवल 131.35 करोड़ रुपए ही खर्च हुए। रायपुर ने 64 % और दुर्ग- भिलाई ने केवल 49% राशि खर्च की।
निकाय एवं अन्य पीएसयू में समन्वय की कमी
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में बताया गया है कि निकाय एवं अन्य पीएसयू के बीच समन्वय की कमी है। बोर्ड ने सड़कों की साफ सफाई एवं सफाई गाड़ियों के नियमित मेंटनेंस के लिए निकायों को सुझाव दिया गया है।
प्रदूषण कम करने रायपुर अपना रहा आईईसी मॉडल
रायपुर नगर निगम प्रदूषण कम करने के लिए अब आईईसी मॉडल (इंफार्मेशन, एजुकेशन एंड कम्युनिकेशन एक्टिविटीज) का उपयोग कर रहा है। जिसमें वॉल पेंटिंग, जनजागरूकता जैसे कार्यक्रम किए जा रहे हैं। यहां पैच रिपेयरिंग, बीटी(ब्लैक टॉपिंग), पेवर ब्लॉक कार्य, वृक्षारोपण, मैकेनाइज्ड रोड स्वीपिंग के माध्यम से सड़क की साफ सफाई की जा रही है।
व्हीकल से होने वाले प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से 4 इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन लगाए गए हैं। इसके अलावा आईओसीएल के साथ एमओयू भी किया गया है। बायोमास के क्षेत्र में इंसीनरेटर की स्थापना भी की जा रही है।