GRAND NEWS STORY : शिक्षक को भगवान का दर्जा दिया गया हैं। क्योकि जो हमें सही दिशा दिखाए हम उसे भगवान ही तो मानेगे। आज शिक्षक दिवस पर एक खास और वास्तविक कहानी को आप को बताने जा रहे हैं। यह बात मध्य प्रदेश के दमोह जिले की हैं। जहा लिधौरा गांव में हर चौराहे पर बच्चे पढ़ते हुए दिखाई देते हैं। किसी भी गली में घुस जाओ तो गली के आखिर में किसी दीवार पर गणित, साइंस के फॉर्मूले लिखे दिखेंगे। बच्चे घूमते-फिरते, दौड़ लगाते हुए इन्हें पढ़ा करते हैं। आखिर ये सब कैसे, यह सोचने वाली बात हैं।
दरअसल ये कमाल शासकीय लिधौरा मिडिल स्कूल में छठी से 8वीं क्लास तक के बच्चों को पढ़ाने वाले माधव मास्टर जी का हैं। माधव की उम्र 40 वर्ष है। माधव उन 50 शिक्षकों में से है जिन्हे शिक्षक दिवस पर नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया जाना था।
मास्टर साहब ने कैसे किया यह कमाल
माधव ने बताया की , ‘कोविड के समय बच्चे स्कूल नहीं आ पाते थे। तो बच्चों के घर के आस-पास बोर्ड बना दिए और उन्हीं के आसपास के लोगों को अपने साथ जोड़ा लिया। जब ये आइडियाज सफल रहे, तो कोविड के बाद उनको थोड़ा मॉडिफाई करके हमने कंटीन्यू किया गया। हर चौराहे में एक ब्लैक बोर्ड और आसपास से जोड़े गए लोग शिक्षक की तरह कार्य करने लगे। कुछ समय बाद एक और बड़ी चुनौती सामने आई। कोविड ख़त्म होने के बाद जब स्कूल खुली तो बच्चे स्कूल आने का मन नहीं करते थे। इस समस्या को हल करने के लिए जिन बच्चों की उपस्थिति सब से ज्यादा होगी उनके अभिभावक को पुरस्कृत किया जाने लगा। जिससे की बच्चो में काफी उत्साह बढ़ गया।’ शायद यही वजह थी की माधव मास्टर की कक्षा में 96 % उपस्थिति रहती हैं।
आज के दौर में जहा स्कूल शिक्षको द्वारा छात्रों से दुष्कर्म और बाल मजदूरी कराने के मामले सामने आते है वह दूसरी तरह माधव मास्टर जैसे शिक्षक भी हैं, जो अपनी ईमानदारी और लगन से शिक्षा को जन – जन तक पंहुचा रहे हैं।