गरियाबंद:–दृष्टिहीन युवक द्वारा अपनी मां के लिए रक्तदान करना एक अत्यंत प्रेरणादायक और भावुक कहानी है। यह न केवल उसकी मां के प्रति उसके गहरे प्रेम की भावना को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि किसी भी प्रकार की शारीरिक अक्षमता के बावजूद इंसान दूसरों की मदद करने और योगदान देने में सक्षम है। गरियाबंद क्षेत्र के ग्राम फुलकर्रा निवासी 20 वर्षीय युवक भीष्म नारायण ध्रुव को जब अपने मां को खून की जरूरत पड़ी तो स्वयं रक्तदान करने ब्लड बैंक पहुंच कर रक्तदान किया जो अत्यंत प्रेरणादायक व अनुकरणीय है और अपनी मां के प्रति उसके गहरे प्रेम और कर्तव्य की भावना को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि किसी भी प्रकार की शारीरिक अक्षमता के बावजूद इंसान दूसरों की मदद करने और योगदान देने में सक्षम है। भीष्मनारायण ध्रुव ने रक्तदान करने के बाद आम जनमानस को कहा की जब मैं दिव्यांग होकर भी मेरे परिवार में मेरी मां को ब्लड की जरूरत पड़ी तो रक्तदान कर सकता हु तो आप लोग जो शारीरिक रूप से पूर्ण स्वस्थ्य हो कोई भी इंसान हो रक्तदान करने आगे आए और अपने परिवार के लोगो का सहारा बने।
अब तक 800 से अधिक जरूरतमंदो तक रक्त पहुचया लोगो ने कहा भागीरथी से कम नहीं – भीम
आपको बता दे मालगांव निवासी भीम लगतार रक्तदान शिविर लगाते रहे है और लोगो को रक्तदान करने के लिए प्रेरित भी करते है भीम निषाद रक्त के जरूरत लोगो के लिए भागीरथी का काम करते ही कभी भी जिले में किसी को जरूरत हो भीम तत्काल सेवा पहुचाते है भीम अब तक 800 से अधिक रक्त के जरूरतमंदों तक रक्तदान की सेवा पहुचा चुके है, समाजसेवी भीम ने कहा कि रक्तदान एक महत्वपूर्ण कार्य है, जो किसी व्यक्ति की जान बचा सकता है, और इस प्रकार का कार्य अंधे युवक के साहस और उसकी निस्वार्थ सेवा की भावना को उजागर करता है। यह उदाहरण हमें सिखाता है कि सीमाओं से परे जाकर हम किसी की मदद कर सकते हैं और अपने प्रियजनों के प्रति जिम्मेदारी निभा सकते हैं।