जगदलपुर।बस्तर सम्भाग मुख्यालय जगदलपुर के सिरासार भवन में आज रविवार को ऐतिहासिक विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व की दूसरी बड़ी रस्म डेरी गड़ई की अदायगी की गई.
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रियासत काल से चली आ रही रस्म में परंपरानुसार डेरी गड़ई के लिए बिरिंगपाल गांव से सरई पेड़ की दो टहनियां लाई जाती हैं. दोनों टहनियों की पूजा अर्चना कर लकड़ियों को गाड़ने के लिए खोदे गए गड्ढों में अंडा और जीवित मछलियां डाली जाती हैं. उसके बाद टहनियों को गा़ड़ कर रस्म को पूरा किया जाता है और दंतेश्वरी माता से विश्व प्रसिद्ध दशहरा रथ के निर्माण की प्रक्रिया को शुरू करने की इजाजत ली जाती है, प्राचीन काल से मान्यताओं के अनुसार रस्म के बाद से ही बस्तर दशहरा पर्व के लिए लकड़ी से बने रथ का निर्माण का कार्य शुरू किया जाता है. करीब 600 साल पुरानी परंपरा का निर्वहन आज भी पूरे विधि विधान के साथ किया जा रहा है।