जांजगीर चाँम्पा। CG NEWS : छत्तीसगढ़ किसानी परंपरा और लोक कला के नाम से प्रसिद्ध है। यहां के किसान फसल लगाने से लेकर फसल की कटाई को उत्सव के रूप मे मानते है। अभी धान के फसल का मध्यांतर समय आ गया हैं और किसान सुबह खेत की फसल की निगरानी कर शाम के समय ख़ास रूप से मनोरंजन करते है, जिसमे धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक रूप में मनोरंजन करते है, इस खेल को ग्रामीण दहिकांदो कहते हैं। भगवान श्री कृष्ण के जन्म उत्सव के रूप मे सात दिनों तक नाच गा कर लोगो का मनोरंजन करते है। ये जांजगीर जिला मुख्यालय से महज 6 किलो मीटर की दूरी पर स्थित खोखरा ग्राम पंचायत गांव के माता चौरा मे इन दिनों दहिकांदो का आयोजन किया जा रहा है। इस नाम को सुन कर हर कोई अचंभित हो रहा है, क्योंकि इस तरह का आयोजन अब ग्रामीण क्षेत्र मे भी देखने को नहीं मिलता, गांव के बुजुर्गो की माने तो दहीकांदो में भगवान श्री कृष्ण की भक्ति है, तो स्थानीय कलाकारो की प्रतिभा को उकेरने का एक मंच होता है, प्राचीन परम्परा को खोखरा गाँव मे आज भी संजो कर रखा गया है। दहीकांदो का आयोजन खेती किसानी के बीच मे किया जाता है, जब किसान अपनी खेत की बुआई कर फसल पकने का इंतजार करते हैं। तब शाम से गाँव के माता चौरा मे कदम के पेड़ के प्रतिक बना कर राधा रानी को वहां स्थापित किया जाता हैं। गांव के लोग अपने घरों से ही अलग – अलग पात्र के रूप मे मेकअप कर मंच मे पहुंचते है और बाजा की धुन मे थिरकते है, इस दौरान कुछ पात्र मजाकिया अंदाज मे कला का प्रदर्शन करते हुए दर्शकों को लोट पोट करते हैं, तो कुछ पेड़ – पौधे, जीव-जंतु के रुप मे पहुंचते है, इस परम्परा को कर्मा और रास का मिश्रित रुप में प्रस्तुत किया जाता हैं। भगवान श्री कृष्ण की भक्ति का एक माध्यम भी है, दहिकांदो मे कुछ युवक महिलाओं की तरह श्रृंगार कर नृत्य करते हैं और श्री कृष्ण भक्ति में अपने आप को धन्य मानते हैं। खोखरा में आयोजित दहीकांदो के आयोजन को देखने के बाद इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि जब हम आधुनिकता और मनोरंजन के पर्याप्त संसाधन होने के बाद भी पुरानी लोक कला से लोगो का मनोरंजन कर रहे हैं तो पुराने दौर में इस परम्परा का कितना भव्य स्वरुप रहता होगा। जब लोगो के पास मनोरंजन के नाम पर सीमित संसाधन थे।