नई दिल्ली | BIG NEWS: राशन कार्ड देश के करोड़ो नागरिकों के लिए न सिर्फ पहचान का दस्तावेज हैं बल्कि गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों के लिए किसी वरदान से कम नहीं। इससे मिलने वाला राशन गरीबों के जीवन का आधार हैं। केंद्र की मोदी सरकार ने चार साल पहले कोरोनाकाल के दौरान खाद्य संकट को देखते हुए भारत के 80 करोड़ परिवारों को मुफ्त में चावल वितरण का फैसला किया था जोकि अब भी अनवरत जारी है। केंद्र के कोटे से अलग राज्य सरकार की तरफ से भी अपने नागरिकों को हर महीने राशन का आबंटन किया जाता है। बात छत्तीसगढ़ की करें तो यहां तीन अथवा उससे अधिक सदस्यों वाले परिवार को प्रतिमाह 35 किलों चावल मुहैय्या कराया जाता हैं। इसके अतिरिक्त उन्हें कम दरों पर शक्कर, नमक और कुछ जिलों में पौष्टिक चने का वितरण किया जाता हैं।
क्या बंद होगा चावल?
वही इस बीच बड़ी खबर सामने निकलकर आई है। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा हैं कि सरकार ने राशन कार्ड से अब चावल वितरण बंद करने का फैसला किया हैं। वही चावल के बदले राशनकार्ड धारकों को गेहूं, दालें, चना, चीनी, नमक, सरसों का तेल, आटा, सोयाबीन, और मसाले दिए जाएंगे। दावा किया जा रहा हैं कि भारत सरकार द्वारा यह निर्णय देश के नागरिकों के खाने में पोषण स्तर को बढ़ाने और उनकी सेहत में सुधार लाने के उद्देश्य से लिया गया है।
बहरहाल सवाल यह हैं कि क्या छत्तीसगढ़ जैसे बम्पर चावल उत्पादन करने वाले छत्तीसगढ़ राज्य में भी राशन कार्ड का यह नया नियम लागू होगा? और अगर ऐसा हुआ तो यहाँ के उत्पादित चावल की खपत किस तरह से की जाएगी? (Rice distribution will be stopped from ration card) वही इस संबंध में किसी तरह का सर्कुलर या आदेश भी जारी नहीं हुआ हैं, ऐसे में प्रदेश में भी चावल का वितरण बंद होगा इसकी सम्भावना नगण्य है।
बता दें कि छत्तीसगढ़ में इन दिनों राशन कार्डो का वेरिफिकेशन का कार्य जारी हैं। पूर्व में इसके लिए तिथि निर्धारित की गई थी जिसे बाद में बढ़ा दिया गया था। सरकार के निर्देशों के मुताबिक़ राशनकार्ड धारकों को निर्बाध रूप से राशन पाने अपने आधार के साथ राशन कार्ड केवाईसी जरूरी होगा। इसके अभाव में कार्ड धारकों को राशन मुहैय्या नहीं कराया जाएगा।