History of Garba: देशभर में शारदीय नवरात्रि का त्योहार 3 अक्तूबर 2024 से धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दौरान जहां मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा होती है, वहीं गुजरात में खास तौर पर गरबा और डांडिया का रंग देखने को मिलता है। लेकिन क्या आपने सोचा है कि नवरात्रि में ही गरबा और डांडिया का महत्व क्यों है?
गरबा, गुजरात की लोक संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है, और इसका इतिहास सदियों पुराना है। गरबा का अर्थ है ‘गर्भ’ यानी जीवन की उत्पत्ति का प्रतीक। इस नृत्य की शुरुआत मां दुर्गा की पूजा के बाद की जाती है, और इसमें महिलाएं पारंपरिक पोशाक पहनकर दीप के चारों ओर नृत्य करती हैं। यह नृत्य प्राचीन काल से नारी शक्ति और जीवन ऊर्जा को समर्पित रहा है।
डांडिया, गरबा के बाद खेला जाने वाला एक और प्रसिद्ध नृत्य है, जिसमें रंगीन डंडियों का उपयोग किया जाता है। यह नृत्य भगवान कृष्ण और राधा की रासलीला का प्रतीक है, जो खुशी और उत्साह से भरा होता है।
इस साल नवरात्रि का त्योहार न केवल धार्मिक भावनाओं को जगाने का अवसर होगा, बल्कि गरबा और डांडिया की पारंपरिक धुनों पर झूमते लोग संस्कृति और इतिहास का सम्मान भी करेंगे।