आश्विन माह में शारदीय नवरात्र की शुरुआत होती है, जिसका समापन दशमी तिथि पर मां दुर्गा विसर्जन के साथ होता है। इस दौरान मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस पर्व का प्रारंभ पितृपक्ष के समापन के बाद होता है। महालया को सर्वपितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है
पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष आश्विन माह की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर सर्वपितृ अमावस्या मनाई जाती है। यह दिन पितृपक्ष का अंतिम दिन होता है। इसी वजह से महालया भी 02 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा। इसके अगले दिन से शारदीय नवरात्र (Sharadiya Navratri 2024) शुरू होंगे।
पश्चिम बंगाल में महालय अमावस्या नवरात्रि उत्सव के आरंभ का प्रतीक है। देवी दुर्गा के भक्तों का मानना है कि इस दिन देवी दुर्गा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था।
महत्व
अश्विन अमावस्या का श्राद्धकर्म के साथ-साथ तांत्रिक दृष्टिकोण से भी महत्व है। अश्विन अमावस्या की समाप्ति पर अगले दिन से शारदीय नवरात्र शुरू हो जाते हैं और मां दुर्गा के विभिन्न रूपों के आराधक और तांत्रिक इस अमावस्या की रात को विशिष्ट तांत्रिक साधनाएं करते हैं।
अश्विन अमावस्या व्रत और आज के धार्मिक कर्म
- महालय अमावस्या के दिन नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों के निमित्त तर्पण करें।
- इस दिन संध्या के समय दीपक जलाएं और पूड़ी, अन्य मिष्ठान दरवाजे पर रखें। ऐसा इसलिए करना चाहिए, ताकि पितृगण भूखे न जाएं और दीपक की रोशनी में पितरों को जाने का रास्ता दिखाएं।
- यदि किसी वजह से आपको अपने पितृों के श्राद्ध की तिथि याद न हो तो, इस दिन उनका श्राद्ध किया जा सकता है।
- इसके अलावा यदि आप पूरे श्राद्ध पक्ष में पितरों का तर्पण नहीं कर पाए हैं तो, इस दिन पितरों का तर्पण जरूर करें।
- इस दिन भूले-भटके पितरों के नाम से किसी जरूरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए।
अश्विन अमावस्या का आरंभः 01 अक्टूबर मंगलवार 2024 को रात 09:39 बजे
अश्विन अमावस्या का समापनः 03 अक्टूबर गुरुवार 2024 को रात 12:18 बजे
उदया तिथि में सर्व पितृ अमावस्याः 02 अक्टूबर बुधवार 2024
पितरों के श्राद्ध का समयः सुबह 11:36 बजे से 12:24 बजे तक