गरियाबंद गुजराती समाज द्वारा आयोजित रास गरबा एक बार फिर धूम मचा रही है। इस साल गरबा महोत्सव का आयोजन 03 से 12 अक्टूबर तक राजू भाई परिसर पर किया जा रहा है, नवरात्रि के पाँचवे दिन गुरुवार को राजू भाई परिसर में बड़ी संख्या में लोग जुटे और गरबा में हिस्सा लिया. पारंपरिक ड्रेसेज़ में तैयार होकर महिलाएं और पुरुषों ने गरबा के लिए ताल से ताल मिलाया. बड़ी संख्या में लोगों का ये गरबा बेहद मनमोहक लग रहा है. शहर गुजराती समाज द्वारा अपनी पारंपरिक परिधान और अपने पारंपरिक गुजराती गीतों के साथ माँ अम्बे को प्रसन्न करने को रोजाना रात को रास गरबा व डांडिया का आयोजन हो रहा है।
रेखा बखरिया ने बतलाया पूरा समाज एक होकर गरबा करने यहाँ आते है महिलाए बच्चे बुजुर्ग नवरात्रि में पूरे नव दिन हमारा पूरा समाज शारदीय नवरात्रि में मां के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. इन नौ दिनों में भक्त जप-तप करते हैं. हमारा समाज एक परिवार है माँ अम्बे की आरती कर पूरा समाज एक होकर गरबा खेलते है
54 वर्षों से लगातार जारी है गरबा
संरक्षक हरीश भाई भरत भाई ने बतलाया गुजराती समाज के द्वारा विगत 54 वर्षों से नवरात्रि के दौरान गरबा खेलने का इतिहास है. अमर सिंह टाक अमृत लाल मयानी हक्कू भाई बखरिया और डॉ ठक्कर ने इस कार्यक्रम की शुरुआत की थी जो आज भी घनश्याम सरवैया भारत भाई बखारिया भीखू भाई विजय टांक मायानी संजय बखारिया अरविंद भाई खिलोसिया नितिन बखारिया राजू कोठारी ने बदस्तूर जारी रखा है नवरात्रि के मौके पर देवी मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है. गरबा, डांडिया और नृत्य हर्ष और उल्लास को मनाने के तरीके हैं जिससे लोग त्योहार के दौरान अपनी ख़ुशी को ज़ाहिर करते हैं. इसके अलावा पुरानी मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के नौ दिन मां को प्रसन्न करने के लिए भक्त रात भर जागरण, गरबा और नृत्य करते हैं क्योंकि नृत्य साधना करने का एक तरीका है,
माँ अम्बे के साथ साथ गरबे में बुजुर्गों का आशीर्वाद मिलता है गरबे में – अध्यक्ष अमित बखारिया
समिति के अध्यक्ष अमित बखारिया ने बतलाया गरबा में समाज के सभी लोग शामिल होते है और माँ अम्बे की आराधना कर गरबे की शुरुआत होती है माँ अम्बे के साथ साथ बुजुर्गों का आशीर्वाद मिलता जय गरबे में जीवन चक्र और शक्ति को दर्शाता है. गरबा अमित ने कहा गरबा नृत्य मां के लोकप्रिय गीतों पर किया जाता है. वहीं, डांडिया को देवी दुर्गा और महिषासुर के बीच हुई लड़ाई का प्रतीक माना जाता है. डांडिया में इस्तेमाल की जाने वाली छड़ी को मां दुर्गा की तलवार कहते हैं, जो बुराई का विनाशक प्रतीक है.2 days ago