जगदलपुर/सतीश साहू। Bastar Dussehra 2024 : बस्तर संभाग मुख्यालय जगदलपुर में 75 दिनों तक चलने वाली ऐतिहासिक विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरे की सबसे अद्भुत रस्म निशा जात्रा बीते अर्धरात्रि को पूरे विधि विधान के साथ पूर्ण किया गया। इस रस्म को काले जादू कि रस्म भी कहा जाता है। प्राचीन काल में इस रस्म को राजा महाराजा बुरी प्रेत आत्माओं से अपने राज्य कि रक्षा के लिए निभाते थे। जिसमे हजारों बकरों, भैंसों यहाँ तक कि नर बलि भी दी जाती थी। लेकिन अब केवल 12 बकरों कि बलि देकर इस रस्म कि अदायगी बीते अर्धरात्रि 02 बजे शहर के अनुपमा चौक स्थित निशा जात्रा गुडी मंदिर में पूर्ण कि गई। इस रस्म कि शुरूवात 1301 ईसवीं में की गई थी। इस तांत्रिक रस्म को राजा महाराजा बुरी प्रेत आत्माओं से राज्य कि रक्षा के लिए अदा करते थे. इस रस्म में बलि चढ़ाकर देवी को प्रसन्न किया जाता है. जिससे कि देवी राज्य कि रक्षा बुरी प्रेत आत्माओं से करे, निशा जात्रा कि यह रस्म बस्तर के इतिहास में बहुत ह़ी महत्वपूर्ण स्थान रखती है. बस्तर के राजकुमार कमलचंद भंजदेव का कहना है कि समय के साथ इस रस्म में बदलाव आया है. पहले इस रस्म में कई हजार भैंसों कि बलि के साथ साथ नर बलि भी दी जाती थी. इस रस्म को बुरी आत्माओं से राज्य कि रक्षा के लिए अदा किया जता था. अब इस रस्म को राज्य में शान्ति बनाए रखने के लिए निभाया जाता है. इस अनोखी रस्म को देखने देश विदेश से भारी संख्या में पर्यटक आते है. समय के साथ आज भारत के अधिकतर इलाको कि परम्पराए आधुनिकी करण कि बलि चढ़ गए है लेकिन बस्तर दशहरे के यह परंपरा यूँही अनवरत चली आ रही है।