चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने एक बार फिर से जजों के वर्कलोड के मुद्दे पर टिप्पणी की। चंद्रचूड़ ने कहा कि जज छुट्टियों के दौरान भी इधर-उधर घूमने नहीं जाते बल्कि अपने काम के प्रति पूरी तरह समर्पित रहते हैं।
चीफ जस्टिस मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि अन्य क्षेत्रों के विपरीत, जूडिशरी में आगे बढ़ने के साथ ही जजों पर काम का बोझ और जटिलता बढ़ती जाती है। सीजेआई ने कहा कि हमारे जज छुट्टियों में भी इधर-उधर घूमते या लापरवाही नहीं करते, वे अपने काम के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा पारित आदेश दशकों तक देश को परिभाषित करेंगे, लेकिन जजों को (अपने काम के अलावा) कानून के बारे में सोचने या पढ़ने के लिए शायद ही समय मिलता है।
न्यायिक कामकाज नई इमारतों के निर्माण के लिए सरकार ही बजट पास करती है
सीजेआई ने कहा न्यायिक कामकाज नई इमारतों के निर्माण के लिए सरकार ही बजट पास करती है। इसके लिए चीफ जस्टिस को मुख्यमंत्री से मिलना भी पड़ेगा। मैं जब इलाहाबाद हाई कोर्ट चीफ जस्टिस था। इसके अलावा बॉम्बे हाई कोर्ट की प्रशासनिक समिति के लिए काम करता था। वहीं राज्यों में परंपरा है कि जब पहली बार कोई चीफ जस्टिस बनता है तो वह मुख्यमंत्री से मिलता है। दूसरी बार मुख्यमंत्री चीफ जस्टिस से मिलते हैं। इन बैठकों का अलग-अलग अजेंडा होता है।सीजेआई ने कहा, मीटिंग में किस बात पर चर्चा हुई। मुख्यमंत्री कभी नहीं कहता कि किसी लंबित मामले को लेकर बातचीत की गई। उन्हें भी पता रहता है कि हम दोनों का क्षेत्र अलग-अलग है। वहीं हाई कोर्ट और सरकारों के बीच प्रशासनिक संबंध बना रहता है। इसी तरह केद्र में भी काम होता है। लेकिन हम इतना परिपक्व हैं कि हमें पता रहता है कि इससे न्यायिक कामकाज या फैसलों पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है।