दुर्ग। CG NEWS : उठऊ सूरज देव भईले बिहान … ये गीत शुक्रवार की सुबह दुर्ग ज़िले के सभी छठ तालाबों में व्रतियों की जुबां पर रहा। छठ महापर्व के अंतिम दिन सुबह 4 बजे से हजारों श्रद्धालु तालाबों में पहुंच चुके थे। पूजा की तैयारी कर सिर्फ इंतजार था सूर्य देव के उदित होने का। तब तक व्रतियों ने भजन गाते हुए समय बिताया। सुबह करीब 6.15 बजे सूर्योदय के साथ ही व्रतियों ने कमर तक पानी में उतरकर सूर्य नारायण को अर्घ्य दिया। इसी के साथ ही चार दिन तक चले महापर्व का समापन हो गया। छठ पूजा के आखिरी दिन को पारण भी कहते हैं क्योंकि इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ व्रत का पारण किया जाता है। इधर छठ घाटों पर छठी मइया के भजन, गीत गूंजते रहे। व्रती महिला व पुरुषों ने सूर्यदेव को अर्घ्य समर्पित करते हुए परिवार की सुरक्षा, उन्नति और बच्चों की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना की। पूजा के बाद 36 घंटे का व्रत पूरा किया। वहीं छठ व्रतधारी साधना सिंह ने बताया कि यह व्रत ऐसा है कि कोई एक बार छठी मैया का व्रत करता है वह उसे जीवन भर नहीं छोडऩा चाहता। यह व्रत घर में एक पीढ़ियों की परंपरा के रूप में चला आ रहा है। वहीं वशिष्ठ नारायण मिश्रा ने कहा कि जो उदय होता हैं वह अस्त भी होता हैं, लेकिन महापर्व छठ हमें सीख देता हैं कि जो अस्त होता हैं वह उदय भी होता हैं। अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाले महापर्व छठ इस बात का साक्षी हैं।