दामु आंबेडारे. रायपुर | प्रदेश भर में छठ पर्व का त्योहार श्रद्धा उल्लास के साथ मनाया गया, वही वही घरों घर में दीप जलाकर रसमें में निभाई गई. और छठ पूजा का संकल्प लेने वालों ने पूरे परिवार के साथ खीर रोटी खाने की रस्म अदाकर निर्जला व्रत की शुरुआत की l लोक आस्था का पर्व छठ के तीसरे दिन व्रतियों ने गुरुवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। रायपुर के विभिन्न इलाकों में लाखों श्रद्धालुओं ने महादेव घाट और अन्य तालाबों के किनारे सूर्य की पूजा की। इस चार दिवसीय पर्व के अंतिम दिन शुक्रवार को सुबह व्रति उगते सूर्य को अर्घ्य देंकर, छठ माई को बिदाई दी.
बिरगांव में भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। इस दौरान श्रद्धालुओं के बीच पारंपरिक छठ गीत गूंजते रहे। सुरक्षा और सफाई के पुख्ता इंतजाम किए गए थे, जिससे श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो। 36 घंटे के निर्जला उपवास के बाद, व्रतियों का व्रत शुक्रवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद समाप्त हुआ। बताया जाता है कि पौराणिक कथाओं के अनुसार स्वयंभू मनु के छोटे पुत्र प्रिय व्रत की पत्नी को मृत शिशु पैदा हुआ था l
जिसने षष्ठी देवी की कृपा से पुनर जीवन प्राप्त किया था तभी से सभी सनातन धर्मावलंबी अपने नवजात शिशु के जन्म से छठे दिन से षष्ठी पूजन का विधान किया करते हैं. यही कारण है, कि आज भी षष्ठी पर्व मनाने का अधिक उत्साह बिहार प्रांत में देखने को मिला करता है, प्रतिपदा से छठा दिन शुक्ल पक्ष की षष्ठी है यह चराचर की आत्मा भगवान सूर्य की राशि का एवं आयु प्रदान करता है बिहार में इस पर्व को “डाला” छठ के नाम से जाना जाता है इस व्रत को करने का विधान धर्म शास्त्रों में यत्र तत्र वर्णित है l छठ पूजा के अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय सहित विधायकों ने पूजा अर्चना की l